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May 9, 2018
जब से राहुल गांधी राजनीति के क्षेत्र में उतरे हैं तबसे विरोधियों की जैसे कांग्रेस के खिलाफ और किसी मुद्दे की तलाशी खत्म हो गई है।पिछले कुछ साल में अकेले राहुल गांधी ही एक ऐसा मुद्दा बन कर उभरे हैं जिसे BJP भुनाए जा रही है । लेकिन राहुल गांधी को यह बात समझ में ही नहीं आ रही कि यदि उन्हें वाकई प्रधानमंत्री बनना है तो सबसे पहले तो उनको अपनी भावनाओं पर संयम रखकर यह बोलना बंद करना होगा कि मैं पीएम बनना चाहता हूं। कर्नाटक चुनाव में एक बार फिर उन्होंने वही लाइन दोहरा दी। जिसे आप सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया जा रहा है। अपने तो यह समझ में नहीं आता कि राहुल गांधी को यह बात समझ में आखिर कब समझ आएगी की अब वह कांग्रेस के अध्यक्ष हैं , महासचिव या उपाध्यक्ष नहीं , कि वह जो भी कहेंगे उसे बाकी लोग संभाल लेंगे । इतनी छोटी आयु में कांग्रेस की कमान हाथ में मिलने का अपने आप में ही मतलब यह है कि आने वाले समय में प्रधानमंत्री वह कम से कम जीवन में एक बार जरूर बनेंगे । परंतु बार-बार इस तरह का बयान देकर राहुल गांधी के अंदर का वह भय जिसके तहत उन्हें शायद लगातार लगता आया है कि उनसे ज्यादा योग्य लोग कांग्रेस संगठन में मौजूद हैं जिनका हक़ शायद राहुल ने किनारे पर रख दिया है ।यह सही भी है क्योंकि निसंदेह राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद की लालसा ने कई ऐसे वरिष्ठ लोगों को ठिकाने लगा दिया है जो वाकई योग्य है । यह सही मौका है जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की नीतियों से जनता बुरी तरह से त्रस्त है परंतु वोटर यह सोचने पर भी मजबूर होता है कि यदि नरेंद्र मोदी या भाजपा को समर्थन न देकर कांग्रेस को समर्थन दिया जाए तो क्या राहुल गांधी वाकई देश संभालने योग्य चेहरा है? कांग्रेस के अंदर तो जिस से बात करो वह मारे भय के राहुल गांधी की तारीफ करते हुए नहीं थकता है । हालांकि ऐसे कई लोग भी हैं जो दबी आवाज में यह बात स्वीकार करते हैं कि राहुल गांधी वाकई प्रधानमंत्री बनने की योग्यता के पायदान पर खरे नहीं उतरते।
अभी *कुछ ही दिन पहले अजमेर के माली समाज ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जन्मदिन पर उन्हें शुभकामनाएं देते हुए एक बड़ी ही मुखर बात कही, कि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री नहीं देश के प्रधानमंत्री बनने के योग्य हैं* ।यह खबर शायद आप लोगों ने समाचार पत्रों में पड़ी होगी। देखा जाए तो इस बात में बहुत दम है। क्योंकि जिस तरह से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मौजूदा चेहरों *में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बाद वर्तमान परिपेक्ष्य में अपने आप को साबित करते हुए लगातार गांधी परिवार के साथ अपनी उपस्थिति बनाए रखने मैं अशोक गहलोत सफल होते हुए दिखाई दे रहे हैं उस हिसाब से नए चेहरे जो कि प्रधानमंत्री पद के लिए गांधी परिवार के अलावा उपयुक्त नजर आते हैं उनमें गहलोत का नाम शीर्ष वरीयता पर देखा जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है* । वैसे तो पूर्व राष्ट्रपति *प्रणव मुखर्जी* अपने आप में कांग्रेस के पास एक बहुत मजबूत चेहरा उपलब्ध था। परंतु अब राष्ट्रपति बन जाने के बाद उनको प्रधानमंत्री के पद के लिए आगे बढ़ाना शोभायमान नहीं दिखाई देता है। ऐसी परिस्थितियों में जब जनता वाकई *भाजपा के क्रियाकलाप से त्रस्त है और राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के पद के लिए उपयुक्त मानने में असहज महसूस करती है, तब कांग्रेस के लिए समझदारी यही होगी कि प्रधानमंत्री पद हेतु राहुल गांधी के अलावा विकल्प को ध्यान में रखते हुए दो अन्य नामों पर अंतर्मन में विश्लेषण कर ले। जिनको ऐन वक्त पर कांग्रेस हित में प्रधानमंत्री के रूप में जनता के बीच खड़ा किया जा सके। बाकी ऐसे तो पर पड़ने वाली बात दिखाई नहीं देती।*
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