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May 8, 2018
दुर्भाग्य है इस देश का की इस देश में इन दिनों राजनीति की वजह से पनप रहा जातिवादी जहर इस कदर हावी हो चुका है कि *जातिवाद के जहरीले चश्में से राजनेता बलात्कार जैसे जघन्य और घृणित अमानवीय कृत्य को भी देखना और लोगो को दिखाना चाहते है* । बीते दिनों आसिफा के साथ हुए दुष्कर्म वाले प्रकरण में यह देखने को मिला कि कांग्रेस ने इसमें सरकार की कार्यशैली को मुद्दा बनाया और वहीं दूसरी ओर हिंदुत्व की आड़ में कुछ लोग लामबंद हो कर आरोपी को बचाने का प्रयास करने में भाजपा समर्थित सरकार के दो मंत्री बलात्कारियों को बचाने के लिए मोर्चा निकालने वाली भीड़ में शामिल तक हो गए।
अब हाल ही में ताजा हालात अनुसार 21 अप्रैल को गाजियाबाद में एक मदरसे के अंदर बालिका के साथ जिसकी उम्र 10 वर्ष थी मदरसे के मौलवी और छात्रों द्वारा बलात्कार किए जाने का मामला सामने आया है । जिसे अब भाजपा के लोगों ने लपक लिया है ,और दिल्ली के सांसद महेश गिरी ने तुरंत कैंडल मार्च करते हुए अपराधियों को सज़ा दिलवाने हेतु बालिका के समर्थन में इंडिया गेट पर देर रात एक प्रदर्शन रख लिया है । मांग हैं कि उस मदरसे को सीज कर बंद कर दिया जाए और वहां के कर्मी दोषियों को जल्द से जल्द सजा हो । तथा अब इस मुद्दे का भी जमकर राजनीतिकरण होता हुआ दिखाई दे रहा है ।
परंतु इन सब बातों के बीच एक अहम सवाल अंतर्मन को कहीं ना कहीं भारी चोट पहुंचाता है । बताऊं क्या ?
*सवाल यह है कि आखिर राहुल गांधी और कांग्रेस के वह लोग जो उस दिन आसिफा के लिए न्याय मांगने हेतु कैंडल मार्च कर रहे थे , आज मदरसे में हुए ऐसे कृत्य में चुप क्यों बैठे हैं ? वही सवाल भाजपा और मनोज तिवारी से भी करना चाहता हूं । भाजपा के सांसद और यह सब लोग तब कहां थे जब एक 8 वर्ष की बालिका के साथ ऐसा दुष्कर्म एक मंदिर में हुआ ? तब उन्होंने मंदिर बंद कराने की मांग क्यों नहीं की भाई ? जो आज* *मदरसा बंद करवाने की बात कर रहे हैं।*
*थू है ऐसी घटिया राजनीतिक सोच पर जो बलात्कार और दुष्कर्म को भी मंदिर, मदरसे, मुसलमान, हिंदू के चश्मे से देखती हैं* ।
कोई पूछे कि इन नेताओं और *खद्दर धारियों को क्या अधिकार है की किसी की भी बच्ची के साथ बलात्कार या दुष्कर्म जैसे मामले को सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए पूरे जग के सामने गाते फिरें ? उघाड़ कर ले आएं सारी दुनिया के आगे की क्या हुआ? कैसे हुआ? जिससे कि पीड़ित परिवार की लोक लजजा की धज्जियां उड़ जाए । क्या अधिकार है राहुल गांधी या मनोज तिवारी को मीडिया के बीच आकर केवल वोटों की भूख के लिए किसी की बेटी को न्याय दिलवाने के नाम पर राजनीति करने का* ?
दुष्कर्म और बलात्कार जैसे मुद्दों पर हो रहे राजनीतिकरण पर रोक लगाना बहुत ज़रूरी है । पूरे देश में सैकड़ों बलात्कार और दुष्कर्म के मामले ऐसे भी होंगे जिसमें पूरी तरह जांच ही नहीं हो पाती होगी । परंतु मीडिया में शोर अमूमन ऐसे ही मामलों का ही क्यों देखा गया है जो कि किसी मंदिर या मदरसे से जुड़ जाए या किसी धर्म विशेष से जुड़ जाएं ? इन सब बातों से सबसे बड़ी चिंताजनक बात जो उभर कर सामने आई है वह यह है कि , *क्या इस देश में बलात्कार जैसे गणित अपराधों के शिकार होने वाले लोगों को बिना धर्म के जुड़े या बिना किसी जातिवाद से जुड़े न्याय नहीं मिल सकता है* ? *उम्मीद की जाती है कि राहुल गांधी और मनोज तिवारी इन गंदी हदों तक जाकर राजनीति करने बैंड कर न्यायपालिका को अपना काम सही ढंग से करने दें ,ताकि पीड़ितों के साथ निष्पक्षता से न्याय हो सके। लोगों को यह समझने दें कि बलात्कारी की कोई जाति नहीं होती !!! वह केवल एक दरिंदा होता है जिसको सज़ा मिलनी ही चाहिए* ।
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