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October 26, 2017
राजस्थान विधानसभा के नौवें सत्र के दौरान बुधवार को विपक्षी विधायक सदम धरने पर बैठे रहे और सरकार ने धरने के बीच राजस्थान विधानसभा सदस्य निरर्हता -निवारण विधेयक, 2017 को ध्वनिमत से पारित करा लिया.
संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक राजस्थान विधानसभा सदस्य निरर्हता-निवारण अधिनियम, 1956 तथा राजस्थान विधानसभा सदस्य निरर्हता-निवारण अधिनियम, 1969 का समेकित रूप है.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस बिल के माध्यम से दो अधिनियमों को एक ही अधिनियम में शामिल करना चाहती है. इस विधेयक के माध्यम से लाभ के कुछ पद राज्य की विधानसभा के सदस्य होने के लिए अयोग्य नहीं होंगे.
राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार की मंशा है कि अधिनियमों की संख्या को कम किया जाए. राज्य सरकार द्वारा अब तक उपयोगिता खो चुके 248 अधिनियमों का निरसन किया जा चुका है.
उन्होंने कहा कि इस बिल को संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा दो बार विधानसभा सचिव के माध्यम से सभी विधायकों को सुझाव के लिए प्रेषित किया गया. इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने हेतु परिचालित करने के संशोधित प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया.
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