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October 25, 2017
विधानसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने यह माना है कि कानून बनने के बाद भी डायन प्रताड़ना के मामले थम नहीं रहे हैं। विधानसभा को दी गई जानकारी के अनुसार डायन प्रताड़ना निवारण अधिनियम 2015 के लागू होने के बाद से सितम्बर 2017 तक प्रदेश में 127 मामले इस कानून के तहत दर्ज हुए है। इनमें 73 मामलों में चालान पेश किया जा चुका है।
विधायक जोगाराम पटेल और शंकरसिंह राजपुरोहित के सवाल के लिखित जवाब में सरकार ने डायन प्रथा के मामलों में सरकार की ओर से पिछले डेढ़ साल में की गई कार्रवाई से अवगत कराया है। गौरतलब है कि दैनिक भास्कर की खबरों के बाद महिला अधिकारिता निदेशालय की ओर से प्रदेश में 18 जिलों में कार्यशालाओं का आयोजन किया गया था।
भास्कर ने लगातार उठाया मुद्दा
भास्कर समाज को पीछे धकेलने वाली इस कुप्रथा के खिलाफ लगातार खबरें प्रकाशित कर रहा है। इन्हीं खबरों के बाद सरकार हरकत में आई और भोपों पर कार्रवाई की गई।
n 22 सितम्बर, 17 : शीर्षक : ये वो है जिन्होने 105 महिलाओं को डायन बना दिया, इनके इशारे पर हत्याएं तक हो जाती हैं।
n 15 अगस्त, 16 : शीर्षक :रूहानी ताकत का साया बता बेड़ियों में 40 दिन तक जकड़कर रखते है, विरोध पर डंडों से पिटाई।
n 13 अगस्त, 16 : शीर्षक :भूत भगाने के नाम पर मुंह में जूता लेकर चलती है महिलाएं, उसी गंदे जूते से पिलाया जाता है पानी।
पीएमओ ने भी मांगा जवाब
भास्कर में प्रकाशित इन खबरों पर पीएमओ ने भी सरकार से डायन का साया बताकर महिलाओं को प्रताड़ित करने के मामलों में की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है। सरकार ने पीएमओ को भेजे पत्र और जवाबों की कॉपी सदन के पटल पर रखी है।
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