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October 23, 2017
दंड प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश 2017 को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. हाई कोर्ट में
इसे लेकर दो रिट याचिका और एक जनहित याचिका दायर की गई है.
सभी याचिकाओं में अध्यादेश को असवैंधानिक बताते हुए इसे चुनौती दी गई है. दरअसल, राजस्थान सरकार ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन करके लोक सेवकों को प्रोटेक्ट करने की कोशिश की है. इसके तहत लोकसेवक के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए सरकार से अभियोजन स्वीकृति लेनी होगी.
वहीं इसकी सीमा भी 180 दिन तय की गई है. वहीं मंजूरी मिलने से पहले पुलिस मामला दर्ज नहीं कर सकेगी. वहीं कोर्ट भी इस्तगासे या प्रसंज्ञान से अनुसंधान के आदेश नहीं दे सकेगा. इसके अलावा अभियोजन स्वीकृति मिलने से पहले दागी लोकसेवक का नाम व पहचान उजागर करने पर 2 साल की सज़ा का भी प्रावधान किया गया है.सरकार अध्यादेश के जरिए इसे लागू कर चुकी है. वहीं सरकार इस विधानसभा सत्र में इसे लेकर विधेयक भी ला रही है. मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एके जैन का कहना है कि सीआरपीसी में संशोधन करने से लेकर पूरे अध्यादेश में संविधान का उल्लखंन किया गया है. ऐसे में हमने इस असवैधानिंक कृत्य को हाई कोर्ट में चुनौती दी है.
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