Post Views 811
June 1, 2017
रिपोर्ट-बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार दो कदम आगे बढ़ने और तीन कदम पीछे हटने की राजनीति कर रहे हैं। वे केंद्र की नरेंद्रे मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के महागठबंधन का हिस्सा भी हैं और विपक्ष के एजेंडे से दूरी रखने की राजनीति भी करते हैं। वे मोदी के सबसे बड़े आलोचक भी हैं और मोदी की तारीफ से भी उनको परहेज नहीं है। एक समय था, जब मोदी के साथ फोटो छप जाने पर उन्होंने भाजपा नेताओं को दिया भोज रद्द कर दिया था और अब मोदी के दिए भोज में शामिल होने में भी उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।
बहरहाल, वे 26 मई को सोनिया गांधी की ओर से दिए गए भोज में शामिल नहीं हुए, लेकिन 27 जुलाई को मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद्र कुमार जगन्नाथ के सम्मान में दिए मोदी के भोज में शामिल हुए। इसी तरह बताया जा रहा है कि वे तीन जून को चेन्नई में डीएमके सुप्रीमो करुणानिधि के जन्मदिन के मौके पर मनाए जा रहे समारोह में शामिल होंगे। इस समारोह में देश भर की विपक्षी पार्टियों के नेताओं का जमावड़ा हो रहा है। करुणानिधि के जन्मदिन समारोह में भाजपा को नहीं बुलाया गया है।
नीतीश कुमार ने 27 अगस्त को पटना में राजद प्रमुख लालू प्रसाद की ओर से की जा रही रैली में शामिल होने की सहमति भी दे दी है। लेकिन वे कांग्रेस की ओर से आंध्र प्रदेश के विशेष राज्य के दर्जे के लिए होने वाली रैली का हिस्सा नहीं होंगे। कांग्रेस की यह रैली चार जून को होने वाली है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इस रैली को संबोधित करेंगे और बताया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इसमें शामिल होंगे। कई नेताओं का मानना है कि नीतीश कुमार को इस रैली में जाना चाहिए क्योंकि यह आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए हो रही है। वे खुद भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने का आंदोलन चलाते रहे हैं। कहा जा रहा है कि वे फिर से इस आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। 2019 के चुनाव में यह उनका एक बड़ा मुद्दा होगा।
Satyam Diagnostic Centre
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved