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June 1, 2017
देहरादून-बजट सत्र में भाजपा सरकार के बहुप्रतीक्षित और बहुप्रचारित लोकायुक्त और तबादला विधेयक पारित होंगे या नहीं इस पर सियासी दलों और जनता की टकटकी लगी हुई है। सरकार बनने के सौ दिन के भीतर इन विधेयकों को पारित कर कानून की शक्ल देने के वायदे पर अमल की चुनौती सत्तारूढ़ दल भाजपा के सामने है। लिहाजा इन दोनों ही विधेयकों को सत्र में रखा जा सकता है। माना जा रहा है कि सरकार इन दोनों विधेयकों को सदन में रखकर व्यापक चर्चा करा सकती है। विधेयकों को पारित कराने के लिए सरकार खुद विशेष प्रयास किए जाने के बजाय गेंद विधानसभा सदस्यों के पाले में सरका सकती है।विधानसभा चुनाव में लोकायुक्त और तबादलों को लेकर जनता से किए गए वायदे पर अमल होता है या नहीं इसे लेकर सत्तारूढ़ दल विपक्ष और जनता की जिज्ञासा बढ़ गई है। भाजपा सरकार ने अपने वायदे पर अमल कर उक्त दोनों विधेयकों को विधानसभा में पेश किया लेकिन प्रचंड बहुमत से सदन में पहुंची सरकार ने इन दोनों अहम विधेयकों पर जल्दबाजी में फैसला लेने के बजाए इसे विधानसभा की प्रवर समितियों के सुपुर्द कर दिया। प्रवर समितियों का एक माह का कार्यकाल एक बार पूरा हो चुका है। अब इन्हें जून के पहले हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देनी है। इस बीच सरकार ने जून माह के पहले हफ्ते के आखिरी दिनों में प्रवर समितियों की बैठकें तय की हैं। लोकसेवकों के वार्षिक स्थानांतरण विधेयक पर बैठक पांच जून और लोकायुक्त विधेयक पर बैठक छह जून तय की गई हैं।आठ जून से नई सरकार का बजट सत्र प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि सत्र से पहले ही प्रवर समितियां दोनों विधेयकों पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर सकती हैं। सरकार दोनों विधेयकों पर समितियों की संस्तुतियों को सदन में रख सकती है। साथ में संस्तुतियों समेत विधेयकों पर सदन में व्यापक चर्चा कराई जा सकती है। ऐसा कर सरकार उक्त विधेयकों पर गेंद अपने पाले में रखने के बजाए
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