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क़लमकार: हर शाख पर उल्लू कब तक बैठा रहेगा कब तक लॉकडाउन के नाम पर बेवकूफियां चलती रहेंगी

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April 26, 2021

आप से नहीं संभल रहा कोरोना तो मुझे सत्ता दे दो,एक महीने में कोरोना की कमर तोड़ दूँगा_ सुरेन्द्र चतुर्वेदी

#1634
हर शाख पर उल्लू कब तक बैठा रहेगा
कब तक लॉकडाउन के नाम पर बेवकूफियां चलती रहेंगी
आप से नहीं संभल रहा कोरोना तो मुझे सत्ता दे दो,एक महीने में कोरोना की कमर तोड़ दूँगा_
                         सुरेन्द्र चतुर्वेदी
                      .....और लीजिए राजस्थान में कोरोना पीड़ितों का आंकड़ा पहुंच गया पांच लाख के पार!!
                       धरा रह गया अनुशासन पखवाड़ा ! कर्फ्यू!  धारा 144 ! लॉक डाउन के सख्त कदम!  नई ताज़ा हेल्थ गाइडलाइंस!  सरकार द्वारा पूरी तरह बरती जा रही कठोरता !  प्रशासन के हर तरह से चाक-चौबंद रहने के दावे!
                                 सारी व्यवस्थाओं के बावज़ूद आंकड़ों की रफ़्तार धुआंधार! पहले से तेज़!
                  सवाल उठता है कि वजह क्या
                  क्या जनता साथ नहीं दे रही
                    ..मगर जनता तो पूरी तरह घरों में सिमटी हुई है।उसे सुबह 7 बजे से 11 बजे तक दूध लेने, सुबह 7बजे से 11बजे तक सब्जी लेने, किराने का सामान लेने और ज्यादा से ज्यादा वाहनों के लिए पेट्रोल डीजल लेने की इजाज़त है ।
                         मंदिर, मस्जिद गुरुद्वारे और गिरजाघर बंद पड़े हैं। शिक्षण संस्थाओं पर ताले लगे हुए हैं ।वाहनों की आवाज़ाही पर रोक लगी हुई है। ...और तो और बाहर के जिलों से लोग भी इस जिले में नहीं आ रहे ! फिर कोरोना की चेन कौन बना रहा है
               कौन है जो कोरोना की मदद कर रहा है 
                       वैक्सीन बराबर लगाई जा रही हैं। ऑक्सीजन की बराबर सप्लाई हो रही है। अस्पतालों में शानदार प्रबंधन के दावे किए जा रहे हैं। फिर मरीज मर क्यों रहे हैं
                अस्पतालों में हंगामा क्यों बरपा हुआ है
                    चिकित्सा मंत्री 1000 ऑक्सीजन के सिलेंडर अजमेर भिजवा रहे हैं।  जांचों की रफ्तार में इज़ाफ़ा किया जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर कोरोना के विरुद्ध छेड़ रखा है युद्ध!!!  फिर भी कोरोना  क्यों हो रहा है क्रुद्ध!!!
              उद्योग धंधे ठप्प पड़े हैं!  व्यापारी माथा कूट रहे हैं। शादियां स्थगित हो रही हैं। होटल्स बंद पड़े हैं। ऐसे में आखिर कहां से कोरोना घुसपैठ कर रहा है
                दोस्तों !! ये जो खेला चल रहा है यह हमारी लापरवाही और सरकार की बेवकूफी से चल रहा है ।
                             यद्यपि मेरे पास कोई अधिकार नहीं जिसे मैं इस्तेमाल कर सकूं मगर मुझ जैसे आम इंसान को यदि व्यवस्थाओं की हिस्सेदारी मिल जाए तो मेरा दावा है कि एक महीने में इस हरामी कोरोना की चैन तोड़ दूँ!
                               हो सकता है मेरी बात सुनकर आप तीख़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करें!  ज़िला प्रशासन मेरे दावे की मज़ाक उड़ाए ! अलग-अलग पार्टियों के नेता और पत्रकार मुझ पर फब्तियां कसें!  मगर मैं अपनी बात पर कायम हूँ।
                     आप मेरी कार्य योजना के बारे में कुछ पूछें इससे पहले ही मैं आपको बता देता हूँ।
                           राज्य में लॉकडाउन या किसी भी किस्म की तालाबंदी ग़ैरज़रूरी है। इससे फोकट का पैनिक क्रिएट हो रहा है। कोरोना वायरस  की दोस्ती सिर्फ़ और सिर्फ़ भीड़ से है!  और भीड़ से उसकी दोस्ती तोड़ने के लिए ही सरकारें प्रशासन और हम आप सारे लोग ,सारे खटराग कर रहे हैं ।
                   आज राज्य में धारा 144 लागू है। इस धारा के तहत 5  से ज्यादा आदमी बिना दूरी रखे एकत्रित नहीं हो सकते। इस धारा का क्या सरकार शत प्रतिशत पालन करवा पा रही है
                  मेरा दावा है कि यदि राज्य में सिर्फ और सिर्फ धारा 144  की कठोरता से पालना करवा दी जाए तो भीड़ का खात्मा हो सकता है ।जब 5 लोगों से ज्यादा लोग ही नहीं होंगे तो मंदिरों मस्जिदों को बाज़ारों को खोलने में क्या डर
                          सार्वजनिक स्थानों , बाज़ारों को बंद करने का क्या औचित्य हमें सिर्फ 5 लोगों को ही तो इकट्ठा होने से रोकना है और हम लगे हैं पूरे सामाजिक , व्यापारिक ,धार्मिक,और आर्थिक ढांचे को हिलाने में!
                चुनावों, रैलियों और  आम सभाओं ,कुंभ और उर्स के मेलों में हम धारा 144 की पालना नहीं करवाते, वोटों के लिए इनकी अनुमति दे देते हैं फिर कहते हैं लॉकडाउन लगाओ।
                      ज़िले के लॉक डाउन की नई गाइडलाइन को ही लें ।सुबह 7 से 11 बजे तक पूरा शहर बाज़ारों में होगा।अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए। समय की निश्चित सीमा होने से सभी लोग, सारे काम इस बीच ही करना चाहेंगे ।ज़ाहिर है कि सब्जी वालों,किराने वालों, डेयरी वालों और ऐसे ही सभी वालों के यहां भीड़ टूट पड़ेगी ।
               ....और हम तो भीड़ खत्म करना चाहते हैं ! फिर यह भीड़ तंत्र को दावत क्यों दी जा रही है 
                       या तो सरकार लोगों के घर तक सारा सामान पहुंचाने की व्यवस्था करे या फिर समय की सीमा हटा दे!  लोग अपनी सुविधा के अनुसार अलग-अलग समय जाकर खरीदारी करे लें।मारामारी न हो। धारा 144 की कठोरता से पालना हो तो किसी दुकान पर 5 से ज्यादा लोग इकट्ठे ना हों लेकिन हमारे आका, हमारे नीति निर्धारक अजीब किस्म के लोग हैं जो भीड़ घटाने की जगह बढ़ाने को अनुशासन पखवाड़ा बता रहे हैं ।
               वाहनों के लिए पुलिस थानों में लाल ,पीले, हरे पास जारी करने की बात कर रहे हैं ।जिले में कम से कम 5 लाख वाहन होंगे !  अब थाने वाले दिन भर पास ही बनाते रहेंगे!  अब थानों में भी भीड़ इकट्ठी होगी!
                          समझ में नहीं आता कि हर शाख पर उल्लू कब तक बैठा रहेगा
                         अंत मे मेरा सरकार और जिला प्रशासन से विनम्र आग्रह है कि धारा 144 की सख्ती से पालना सुनिश्चित करे। 144 का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्यवाही अमल में लानी प्रारम्भ कर दी जाए तो निश्चित रूप से कोरोना की रफ्तार धीमी की जा सकती है।




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