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April 12, 2021
गहलोत तेरे राज्य में ईमानदार अधिकारी धक्के खा रहे हैं,बेईमान बादाम का हलवा
मेहरड़ा के दल्ले नोट गिनने की मशीन लगाकर टाइप कर रहे हैं फ़ैसले ,तहसीलदार रसोई में जला रहे है भारतीय मुद्राएं!_
समित शर्मा जैसे अधिकारियों को किया जा रहा है परेशान_
मन्त्री अधिकारियों से वसूल रहे हैं मासिक चौथ_
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
राज्य के ईमानदार अधिकारी मानसिक यातना भुगतने को मजबूर हैं और बेईमान ज़िन्दगी के मज़े लूट रहे हैं ।
कल मैंने राज्य के बहुचर्चित भारतीय प्रशासनिक अधिकारी डॉ समित शर्मा पर केंद्रित ब्लॉग लिखा। मुझे प्रसन्नता हुई कि साढे चार सौ ग्रुप के लगभग डेढ़ लाख लोगों ने सकारात्मक कमेंट देकर और ब्लॉग को विभिन्न ग्रुप्स में शेयर कर ईमानदारी पर अपने समर्थन का ठप्पा लगाया।
अजमेर के पाठक जब मेरा ब्लॉग पढ़ रहे थे तब भ्रष्ट और बेईमान अधिकारियों के ऑफिसों को सीज़ किया जा रहा था। राजस्व विभाग में सरकारी राजस्व को निजी तिज़ोरियों में भरने का जो खेल चल रहा था। वकील दलाल बने हुए थे। पैसा लेकर फैसला लिख रहे थे ।राज्य में यह खेला पहली बार नहीं हुआ। पिछले मात्र एक साल से अरबों रूपयों की रिश्वतखोरी के मामले सामने आ रहे हैं।आए रोज़ कोई अधिकारी या कर्मचारी काले धन को कमाने के खेल में पकड़ा जा रहा है। तहसीलदार भारतीय मुद्रा की काली कमाई को रसोई की आग में फूंक रहे हैं ।सिरोही का ये खेला अब अजमेर के राजस्व विभाग में आकर नए-नए रूप दिखा रहा है ।
कमीने अधिकारियों का पेट पता नहीं इतना कितना बड़ा है जो लाखों के वारे न्यारे करने के बाद भी भरता नहीं ! भूख लगने पर क्या वे रिश्वत में कमाए पैसों को खाते हैं या नोटों की गड्डियां को बिस्तर पर बिछाकर सोते हैं पैसों की इतनी भूख क्यों लगती है क्या मरते समय छाती पर रख कर ले जाएंगे नोटों की गड्डियां
एक तरफ डॉ समित शर्मा जैसे ईमानदार अधिकारी हैं जो अपने अल्पकालीन कार्यकाल में 22 बार स्थानांतरित हो चुके हैं। जो नियमानुसार काम करने की ललक में भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं के कोप भाजन बन जाते हैं।
हाल ही में जयपुर संभागीय आयुक्त के पद पर काम करते हुए उन्होंने जिस तरह सरकारी कार्यालयों में छापेमारी की,भ्रष्ट अधिकारियों को नोटिस थमाया। आबकारी विभाग, शिक्षा विभाग, सरकारी अस्पतालों में बिगड़े हुए सिस्टम को पटरी पर लाने के लिए जी जान लगाइ ज़रा सोचिए कि क्यों यदि वे भी मेहरडा और सुनील शर्मा जैसे भ्रष्ट होते तो उनके घर में भी नोट गिनने की मशीन लगी होती। जोशी जैसे दल्ले उनके लिए फैसले टाइप करते ।जनता की गाढ़ी कमाई का सौदा करते अपने ख़ज़ाने भरते।कई पीढ़ियों के सुखद भविष्य को सुरक्षित कर लेते....मगर ईमानदार समित शर्मा जैसे अधिकारियों की परेशानी बनती है उनकी फितरत ! जो ना गलत काम करने देती है ना बर्दाश्त करती है!
उच्चाधिकारी चाहते हैं कि वे काला-सफ़ेद सब उनके आदेशों पर करें!विधायक, सांसद और मंत्री जी चाहते हैं कि उनकी सिफारिश को कानून माना जाए! जो कह दिया जाए उसका आज्ञाकारिता से पालन किया जाए चाहे ! भले ही वह कितना ही गैर वाजिब या गैरकानूनी क्यों ना हो !
मना करते ही बल पड़ जाता है और फिर ट्रांसफर ! वैसे ईमानदार अधिकारियों का ये बेईमान लोग और बिगाड़ भी क्या सकते हैं उन्हें गाड़िया लोहार ही तो बना सकते हैं! मात्र 128 दिनों में जब डॉ शर्मा ने अलवर के जिला शिक्षा अधिकारी को नोटिस थमा दिया, आबकारी विभाग के भ्रष्ट तंत्र को हिला कर रख दिया, भ्रष्टाचार के अस्पतालों में चल रहे भ्रष्ट डॉक्टरों के खेलों को लोगों के सामने ले आए! यातायात विभाग में चल रहे लाखों के गोरख धंधों पर लगाम कस दी...तो ऊपर से नीचे तक की व्यवस्थाओं पर ब्रेक लग गया।
भ्रष्टाचार से खोखले हुए तंत्र को ईमानदारी की पटरी पर डालने का मतलब है संगठित गिरोह के काले कारनामों पर ब्रेक लगाना और यही बर्दाश्त नहीं होता इन अधिकारियों और राजनेताओं को!
मैं यह कहते हुए ज़रा भी नहीं डरता कि गांधीवादी गहलोत इन दिनों बेईमान राजनेताओं के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं ।गहलोत चाहे तो मैं उन राजनेताओं के नाम सबूत सहित बता सकता हूँ जो अधिकारियों से मासिक चौथ वसूलते हैं। आबकारी विभाग ,पुलिस विभाग ,चिकित्सा विभाग ,यातायात एवं परिवहन विभाग के अलावा भी बहुत सारे विभागों के अधिकारी ऐसे हैं जो अपने उच्चाधिकारियों और राजनेताओं के लिए चौथ वसूलते हैं ।
ताज़्ज़ुब तो तब होता है जब ये अधिकारी खुलेआम कहते हैं कि फलां मंत्री को पैसे देकर पोस्टिंग हुआ है, वे अकेले पैसा नहीं खाते, उन्हें ऊपर भी पहुंचाना पड़ता है ।
सफेदपोश दिखने वाले ये मंत्री आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। तबादला उद्योग और चौथ वसूली का कारोबार गांधीवादी गहलोत के समय खुलेआम चल रहा है ।
अजमेर का राजस्व विभाग कोई आज का बेईमान विभाग नहीं ,उमराव जान के समय से यहां तो फैसले पैसे खा कर ही दिए जाते रहे हैं ।जो पकड़ा जाए तो वह चोर ,जो बच जाए वह साहूकार ।
दोस्तों !! डॉ समित शर्मा हों! आई पी एस जगदीश चंद्र शर्मा हों! कुँवर राष्ट्रदीप हों! टोंक कलेक्टर चिन्मयी गोपाल हों! या नागौर कलेक्टर जितेंद्र सोनी या उदयपुर के पुलिस कप्तान राजीव पचार! या भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में कार्यरत पारसमल!! सभी से उनके दिल पर हाथ रख कर पूछिए कि क्या उनके उच्चाधिकारी या राजनेता उनकी ईमानदारी देख कर खुश होते हैं क्या वे उन पर तंत्र को भ्रष्ट करने का दबाव नहीं बनाते
यह सब खेला होता रहा है और होता रहेगा। यदि आप डॉक्टर समित शर्मा जैसे अधिकारी बनना चाहते हैं तो आपको अपनी नौकरी ख़ाकी लिफ़ाफ़े में हरदम तैयार रखनी चाहिए।अटेची कम सामान के साथ हरदम तैयार रखनी चाहिए। याद रखिए आपको जलील भी किया जाएगा और स्थानांतरित भी ।यदि आप बेईमान तंत्र का हिस्सा बनने को तैयार है तो जरूर मौज़ कीजिए ।हलवा खाइए और हलवा खिलाइए ।कई पीढ़ियों को मौज़ मस्ती करने का इंतजाम कर लीजिए।
मित्रों!! मेरे पिताजी पुलिस विभाग के ईमानदार अधिकारी रहे! उनकी ईमानदारी का सबूत यही था कि वे साल में तीन- चार बार स्थानांतरित कर दिए जाते थे ।मैंने पहली कक्षा से आठवीं कक्षा तक 300 स्कूल बदले ।आज तक मेरा बचपन का ऐसा कोई दोस्त नहीं जो आठवीं तक मेरे साथ पढ़ा हो ।जब तक कोई दोस्त बनता था पिताजी का तबादला हो जाता था ।
डॉ समित शर्मा आप सौभाग्यशाली हैं कि आपके माथे पर कलंक का टीका नहीं ! आप हर अग्नि परीक्षा में कुंदन साबित होते रहे हैं! तब भी जब आप पर चिकित्सा विभाग में भर्ती के लिए पैसे खाने का बेहुदा आरोप लगा और जांच में आरोप सिरे से ख़ारिज़ कर दिया गया! मुख्यमंत्री गहलोत ने विधानसभा में आपको सार्वजनिक रूप से ईमानदार मान लिया। एसीबी या आयकर विभाग के छापे आपके घर तक नहीं पहुंचते ! आपके पीछे मीडिया सवालों को लेकर नहीं भागता! रोज़ रात को आप चैन की नींद सोते हैं! जितनी तनख्वाह आपको मिलती है महीने के अंत तक वह पूरी तरह खर्च नहीं हो पाती! आपके बच्चों को कभी स्कूल में साथियों द्वारा अखबार की कटिंग दिखा कर अपमानित नहीं किया जाता! जहां आपका पोस्टिंग होता है जनता आपको प्यार करती है! यह कोई कम ईनाम नहीं समित जी !!!! पैसा कमाने के लिए जितने अधिकारी तैनात हैं एक दिन जानवरों की मौत मारे जाएंगे! सारा कमाया हुआ धन ज़मीन पर छोड़कर चले जाएंगे!! आपका नाम लोगों के दिलो पर लिखा रह जाएगा! डॉ समित शर्मा और आप जैसे अधिकारी पर ही देश का संविधान नाज़ करेगा।
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