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March 27, 2021
आनासागर के दर्द को देवनानी और धर्मेश जैन के बाद अब सुनेंगे सांसद भागीरथ चौधरी भी
ज़िला प्रशासन साफ़ कहे कि क्या पाथ- वे के पहले बनी सभी कालोनियों और मकानों को वैध मानकर कर दिया जाएगा नियमित
क्या सर्वोच्च न्यायालय के अब्दुल रहमान वर्सेज सरकार के आदेश की धज्जियां नहीं उड़ा रहा प्रशासन
पानी के हत्यारों को सज़ा नहीं दी गई तो पीढियां हम पर थूकेंगी!!
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
आनासागर के दोनों तरफ पानी वाले भाग के बीच में पाथ वे बनाए जाने को लेकर ज़िला प्रशासन पूरी तरह अंधा हो चुका है मगर स्मार्ट योजना के नाम पर भू माफियाओं के हाथों बिके अधिकारियों का दिमाग़ ठिकाने लगाने की ज़रूरत अब भाजपा के ही नेता कर रहे हैं। विधायक वासुदेव देवनानी और यूआईटी के पूर्व चेयरमैन धर्मेश जैन के बाद अब सांसद भागीरथ चौधरी भी केंद्र को इसकी शिक़ायत करने का मानस बना चुके हैं।
उन्होंने फोन पर मुझे जानकारी दी है कि वे जिला कलेक्टर व स्मार्ट सिटी योजना से जुड़े सभी अधिकारियों को बुलाकर पाथ वे के बारे में जानकारी लेंगे ।उन्होंने खुद पाथ वे के नाम पर आना सागर के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ करने को सैद्धान्तिक रूप से ग़लत माना है, और कहा है कि झील के पानी को मिट्टी डालकर भरने के वे किसी भी तरह पक्ष में नहीं। दूसरी ओर भाजपा के केंद्रीय महामंत्री भूपेंद्र यादव भी आना सागर पर कड़ी निगरानी पे जुट गए हैं।
महावीर कॉलोनी से लेकर विश्राम स्थली तक और जी मॉल के पास अवैध बस स्टैंड से लेकर पाथ वे बनाए जाने को लेकर प्रशासन ने आम जनता और उच्च अधिकारियों को गुमराह कर रखा है। पाथ वे बनाए जाने के पीछे प्रशासन तर्क दे रहा है कि इससे आनासागर को चारों तरफ से अतिक्रमण से बचाया जा सकेगा। एक तरह से कहा जा रहा है कि पाथवे से आनासागर की चारदीवारी बन जाएगी और भविष्य में लोग इसके आगे अतिक्रमण नहीं कर पाएंगे। जबकि हकीकत में भूमाफियाओं की मिलीभगत से ये खेल चल रहा है कि जो निर्माण डूब क्षेत्र में माने जा चुके हैं वो सभी आनासागर की चारदीवारी बनने के बाद डूब क्षेत्र से बाहर मान लिए जाएंगे।
मैं प्रशासन के इस कथित तर्क को तुग़लकी मानता हूँ। आनासागर के किनारों पर जहां पहले से ही ज़मीन है उस पर प्रशासन पाथवे क्यों नहीं बनवा रहा वजह साफ़ है कि भू माफियाओं के गिरोह ने आनासागर के किनारों पर अवैध प्लॉट और मकानों की लंबी कतार बना रखी है ।
महावीर कॉलोनी जहां ख़त्म होती है ,उसके बाद डूब क्षेत्र शुरू हो जाता है। आप यहां का दौरा करें तो पाएंगे यहां हज़ारों मकान बिना नक्शा पास किए कृत्रिम ज़मीन बनाकर बना लिए गए हैं और अभी भी बराबर पानी में मिट्टी डालकर प्लॉट बनाए जा रहे हैं।
पार्षद रमेश सोनी मुझे व्हाट्सएप मैसेज कर यक़ीन दिलाते हैं कि वे ईमानदारी से अतिक्रमण के पक्ष में नहीं लेकिन हक़ीक़त यह भी है कि आज तक उन्होंने एक शब्द मीडिया के सामने नहीं बोला। किसी प्रकार का कोई दबाव जिला और निगम प्रशासन पर नही बनाया। यदि वे हकीकत में आनासागर के किनारों के पानी को मिट्टी डालकर भूरने के विरोधी हैं तो अपने राजनीतिक गुरु देवनानी जी की भाषा बोलने से क्यों कतरा रहे हैं उन्होंने तो बड़ी वीरता से विधानसभा तक में यह कहा कि आनासागर के साथ अच्छा सलूक नहीं हो रहा। उस पर रोक लगाई जानी बहुत ज़रूरी है।
यहाँ मज़ेदार बात यह है कि ज़िला प्रशासन से जुड़े कुछ अधिकारियों ने अतिक्रमण करने वाले लोगों को भू माफियाओं की भाषा बोल कर गुमराह कर दिया है। लोगों से कहा जा रहा है कि पाथ वे के पहले बने मकान , चाहे वे अवैध ही क्यों ना हो सुरक्षित हो जाएंगे। और वे डूब क्षेत्र से बाहर माने जाएंगे। यही वजह है कि आज कल जहाँ पहले से पानी भरा हुआ है वहां रातों-रात मिट्टी डालकर प्लॉट बनाए जा रहे हैं। प्रशासन के अधिकारी भी इस काम में भू माफियाओं की मदद कर रहे हैं। मज़हब विशेष के लोग इन अवैध रूप से बनाए जा रहे भूखंडों को मुंह मांगे दामों पर खरीद रहे हैं। दूर-दूर से प्लॉट खरीदने वाले मजहब विशेष के लोगों को माफिया आना सागर में कब्जा करने के लिए बुला रहे हैं।
मैं ज़िला कलेक्टर और स्मार्ट सिटी योजना के सी. ई. ओ. श्री प्रकाश राजपुरोहित जी से स्पष्ट यह सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या वे पाथवे के पहले चारों तरफ बनी अवैध कॉलोनियों को नियमित कर देंगे
क्या पाथवे से पहले डूब क्षेत्र में बने सभी अवैध मकानों को वे वैध मानते हुए उनके नक्शे पास करवा देंगे
क्या इन अवैध कॉलोनियों को दिए गए बिजली , पानी के अवैध कनेक्शन विभाग नियमित कर देगा
क्या इन्हें हटाने की कार्रवाई भविष्य में कभी नहीं की जाएगी
किनारों पर बनी सभी बस्तियों को नियमित कॉलोनियों में शामिल कर लिया जाएगा
यदि वे ऐसा मानते हैं तो साफ-साफ बयान दें ! अधिकारी और भूमाफिया लोगों को यह कहकर गुमराह कर रहे हैं कि भविष्य में पाथ वे से पहले के सभी निर्माण नियमित मान लिए जाएंगे।यही वजह है कि यहाँ के लोग निजी स्वार्थ में पाथवे का विरोध नहीं कर रहे।
दूसरी बात यह कि प्रशासन जो कर रहा है क्या वह सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश की अवहेलना नहीं है जो अब्दुल रहमान वर्सेज़ सरकार को लेकर दिया गया था जिस आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने साफ़ कहा है कि डूबक्षेत्र में आए किसी भी झील, तालाब या नदी पर निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता किसी भी झील,तालाब,नाले का मूल स्वरूप किसी भी हाल में नही बिगाड़ा जा सकता
मुझे तो शर्म आती है यह कहते हुए कि शहर के कुछ जागरूक कहे जाने वाले वकील इस दिशा में अपनी आंखों पर पट्टी क्यों बांधे हुए हैं
जनहित याचिका के मामले में रिकॉर्ड बनाने वाले मशहूर वकील एस के सिंह क्या अंधे हो गए हैं याचिका दायर कर समझौतों से मोटी रक़म हासिल करने की परंपरा शायद अजमेर में चल रही है ।कुछ वकीलों का तो कारोबार ही जनहित याचिकाओं से चल रहा है। वक़ील एस के सिंह जो मेरे मित्र भी हैं हमेशा कहते रहे हैं कि अगली जनहित याचिका आनासागर को लेकर ही होगी , मगर एक साल बाद भी वे अपनी ज़ुबान पर क़ायम नहीं। शक़ है कि शायद वे भी किसी भूमाफिया से समझौता कर चुके हैं। यदि नहीं तो उन्हें आनासागर के हत्यारों को बेनकाब करना चाहिए।
शहर के और भी कई जागरूक वक़ील,जैसे राजेश टंडन का नाम भी लिया जा सकता है ।बाटा तिराहे को लेकर बयान दे रहे हैं मगर आना सागर को लेकर ज़ुबान पर ताला लगाए हुए हैं। क्या उनका नैतिक दायित्व अस्पताल के दरवाज़े खुलवाने तक ही सीमित है पर्वतपुरा बाई पास पर जनहित में चौराहा बनवाने तक ही महदूद है उनको आनासागर के लिए भी कुछ सोचना चाहिए।वे ऐसे वक़ील हैं जो चाहें तो जनहित में जनआंदोलन भी खड़ा कर सकते हैं।
मेरा शहर के जागरूक वकीलों से आग्रह है, सामाजिक संस्थाओं से आग्रह है, राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से आग्रह है कि एक बार वे मेरे साथ चल कर देखें कि आनासागर को किस तरह बर्बाद किया जा रहा है उसके किनारों की किस तरह मिट्टी डालकर दुर्गति की जा रही है
पानी के हत्यारे मिट्टी डालकर आनासागर के बुरे वक्त का इतिहास लिख रहे हैं और हम लोग मूक दृष्टा और गूँगे बन कर हत्यारों की मदद कर रहे हैं। इतिहास हमें कभी माफ़ नहीं करेगा। पीढ़ियां हम पर थूकेंगी।
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