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August 27, 2020
आ रे म्हारा सम्पट पाट, मैं तनें चाटूं तू मने चाट
राजस्थान में कांग्रेस , कोरोना और भाजपा एक ही नाव में सवार_
वसुंधरा और गहलोत को पार्टियाँ दिखाना चाहती हैं उनकी औक़ात
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
राजस्थान में कांग्रेस कोरोना और भाजपा तीनों एक ही तरीके से आगे बढ़ रहे हैं ।कांग्रेस और भाजपा जहां अंतरकलह के दूसरे भाग की ओर अग्रसर हैं वही कोरोना लॉकडाउन के आखिरी हिस्से में भाग लेने को आतुर है ।
सितंबर के पहले हिस्से में राज्य की इबादतगाएं खोले जाने की बात चल रही है। सीनियर स्कूल व कॉलेज भी खोले जाने की तैयारी है। ऐसे में पब्लिक डरी हुई है लेकिन कोरोना खुश है ।ताज्जुब की बात तो यह है कि ऐसा तब हो रहा है जब कोरोना हर जिले में हर रोज़ तेज़ी से रन बना रहा है ।जोधपुर में तो हर रोज़ दो दो शतक बनाए जा रहे हैं।
सरकार लगता है पागल हो चुकी है ।हालात संभालने की जगह बिगाड़ने में लगी हुई है। पूजा स्थल और स्कूल कॉलेज खोलने के बाद मेरा दावा है कि हर रोज़ कोरोना पॉजिटिव की संख्या सैकड़ों में नहीं हज़ारों में आने लगेगी। अस्पतालों की हालत यह हो जाएगी कि लोग सड़कों पर ही दम तोड़ने लगेंगे ,मगर सरकार जल्दबाजी में है तो उसका क्या उखाड़ लिया जाए❓
भाजपा अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने फिर संगठन में कोरोना जैसा विस्फोट किया है ।संभागीय और जिला प्रभारी बनाकर अपनी पार्टी को नई ताकत प्रदान की है ।इस बार भी वसुंधरा राजे के लोगों को दरकिनार कर उन्होंने यह बता दिया है कि हाईकमान ने वसुंधरा जी को जो भी लॉलीपॉप पकड़ाया हो पर उन्हें कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए हैं ।उन्हें वसुंधरा जी से तालमेल बैठाने के यदि कोई निर्देश दिए जाते तो इस बार संभागीय प्रभारी व जिला प्रभारी बनाए जाने में अतिरिक्त सावधानी बरती जाती। इस घोषणा से वसुंधरा राजे का गुस्सा स्वभाविक रूप से उछाल मारेगा। हाल ही में वे भाजपा कार्यालय में आगे होकर पहुंची थीं। उनका वहां भी डॉक्टर पूनिया से कहीं ज्यादा स्वागत हुआ। ज्यादा तरज़ीह दी गई।
ऐसे में अब वसुंधरा जी पूरी ताक़त के साथ अपना अलग से संगठन तैयार करेंगी ।वे अब जान गई हैं कि यदि इसी तरह बंदरबांट होती रही तो अगले चुनाव में उनके लोगों को एक भी टिकट नहीं मिलेगी और हो सकता है उन्हें भी चुनाव के लिए टिकट न दिया जाए। इस कड़वे सच के साथ अब भाजपा में रहकर वे नई भाजपा तैयार करने में लग जाएंगी। उनकी इस कार्रवाई से भले ही वसुंधरा को नुकसान भी हो जाए मगर भाजपा को होने वाला नुकसान इससे ज्यादा खतरनाक होगा।
कोरोना और भाजपा की बात करने के बाद आइए अब कांग्रेस की भी बात कर ली जाए ।
कांग्रेस में सचिन पायलट की नाराजगी को शांत करने के लिए जो समिति बनाई गई है उसके जिम्मेदार प्रभारी अजय माकन अगले कुछ दिनों में राजस्थान आ रहे हैं। अजमेर, कोटा और भरतपुर संभाग के कांग्रेसियों से उनकी शिकायतें सुनेंगे। फीडबैक लेने के बाद कई मंत्रियों की गद्दी जाने की संभावना बन चुकी है। कई नेता संगठन से भी बाहर होंगे ।
यहां आपको बता दूं कि ये तीनों संभाग सचिन पायलट के प्रभाव क्षेत्र माने जाते हैं ।माकन के इस दौरे में सबसे महत्वपूर्ण रहेगा अजमेर संभाग। सचिन पायलट क्योंकि अजमेर से सांसद के साथ केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं ।पिछले लोकसभा चुनाव में डॉ रघु शर्मा को अजमेर से जीत भी दिलवा चुके हैं ।इसके अलावा इस संभाग के 5 विधायक खुद सचिन पायलट, हरीश मीणा, राकेश पारीक, मुकेश भाकर और रामनिवास गावड़िया एक साथ हैं।
अजमेर संभाग गुर्जर बाहुल्य होने के नाते भी महत्वपूर्ण है ।इसके अलावा कोटा संभाग में भी सचिन पायलट का प्रभाव है। यहां सचिन ने अध्यक्ष रहते हुए निवर्तमान प्रतिपक्ष नेता रामेश्वर डूडी के साथ किसान पदयात्रा की थी और उसका असर यह रहा कि विधानसभा चुनावों में इस संभाग में कांग्रेस को अच्छी सफलता मिली। मीणा और गुर्जर मतदाता इस संभाग में प्रभावी हैं।
तीसरा संभाग भरतपुर है। अजय माकन यहां पहली बार जाएंगे ।इस संभाग के 2 बड़े नेता विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा हैं जो पायलट की बाड़े बंदी में भी साथ थे और और अब भी उप-मुख्यमंत्री की दौड़ में हैं।
अजय माकन के दौरे में वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा भी साथ रहेंगे। उनके साथ सह प्रभारी सचिव विवेक बंसल और तरुण कुमार भी साथ रह सकते हैं ।पिछले विधानसभा चुनाव में इन दोनों नेताओं ने टिकट बांटने में सक्रियता दिखाई थी और उन पर कई गंभीर आरोप भी लगे थे।
ललित माकन यदि सचिन पायलट को खुश करने के चक्कर में अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे तो अशोक गहलोत शांत नहीं बैठेंगे। उन्होंने अभी से डॉक्टर सतीश पूनिया की तर्ज पर काम करना शुरू कर दिया है ।जिस तरह पूनिया वसुंधरा जी के पर कतर रहे हैं ,उसी तरह गहलोत सचिन के पर कतरने में लगे हुए हैं ।दोनों पार्टियां अपने अपने दुश्मनों के पर कतर रही हैं लेकिन दोनों ही पार्टियों के दुश्मन कोरोना के पर कोई नहीं कतर रहा।
उनका ध्यान सिर्फ अपनी अपनी सत्ता को सुरक्षित रखने पर है .जनता को सुरक्षित रखना उनकी प्राथमिकता नहीं ।जनता खुद भी अपना ध्यान कहां रख रही है।
_आ रे म्हारा संपट पाट, मैं तने चाटू तू मने चाट
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