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क़लमकार: अब दिल्ली अस्थिर तो राजस्थान स्थिर

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August 24, 2020

सोनिया के पत्र से मचे कोहराम के बाद सचिन का गुब्बारा फूटा

अब दिल्ली अस्थिर तो राजस्थान स्थिर

सोनिया के पत्र से मचे कोहराम के बाद सचिन का गुब्बारा फूटा

सारे नेता राहुल को बचाने में लगे, सचिन को किया नज़रंदाज़

सुरेन्द्र चतुर्वेदी

कांग्रेस बहुत बुरे दिनों से गुज़र रही है। जिस तरह कोरोना वायरस देश में कहर ढा रहा है, वैसे ही कांग्रेस में भी कई वायरस सक्रिय हैं और पार्टी की सेहत को दांव पर लगा रहे हैं । पहले राजस्थान में सचिन पायलट ने वायरस की भूमिका अदा की तो अब गुलाम नबी आजाद ,कपिल सिब्बल ,आनंद शर्मा सहित कई खुराफाती नेता संगठित होकर सोनिया गांधी के विरुद्ध परचम लेकर खड़े हो गए हैं।
इधर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पंजाब के अमरेंद्र सिंह ने गांधी परिवार के प्रति अपनी आस्था दर्शा दी है ।सचिन पायलट का कोई बयान अभी मीडिया तक नहीं पहुंचा है। जुबान से तो वह क्या कहेंगे वही जाने मगर दिल में तो वे सोच रहे होंगे कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का बदलाव हो और अशोक गहलोत किसी तरह राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाएं तो वे मुख्यमंत्री बन सकते हैं ।उनका ऐसा सोचना स्वाभाविक भी है ।वे राजस्थान नहीं छोड़ना चाहते और राष्ट्रीय स्तर पर बदली हुई परिस्थितियों मे वे कहीं क़ाबीज किए जाएं यह संभव नहीं ।
जहां तक गहलोत का सवाल है वे राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की पेशकश कर चुके हैं। वे बहुत समझदार हैं ।राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने के झांसे में नहीं आना चाहते ना ही आएंगे।
यह बता दूँ कि गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा ,कपिल सिब्बल, शशि थरूर, पृथ्वीराज चौहान, विवेक तनखा, राज बब्बर ,भूपेंद्र हुडडा, मनीष तिवारी , मुकुल वासनिक ये सब घिसे हुए पुर्ज़े हैं, ये अशोक गहलोत के ताबे नहीं आने वाले।
पहली बात तो ये सब गांधीवादी वंश के विरुद्ध हैं। ये ना सोनिया ना राहुल ना प्रियंका तीनों ही चेहरों को अध्यक्ष बनाए जाने के मूड में नहीं हैं। यह अपने में से ही किसी को अध्यक्ष बनाना चाहते हैं ।इन सब में भी गुलाम नबी आजाद सबसे आगे हैं।
इधर अशोक गहलोत, वेणुगोपाल, सुरजेवाला, ललित माकन, अमरेंद्र सिंह, अहमद पटेल सहित बहुत सारे नेता राहुल गांधी के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं ।गहलोत ने तो ट्वीट करके स्पष्ट रूप से कह दिया है कि वर्तमान परिस्थिति में राहुल गांधी ही अध्यक्ष बनाए जाने चाहिए ।
उनके इस बयान से दो तीर ठिकाने पर लगे हैं ।पहला तो यदि बदलाव नहीं हुआ तो गहलोत की गांधी भक्ति सिद्द हो ही जाएगी और यदि राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं बनाए गए तो जो भी नया अध्यक्ष बनेगा वह उन्हें केंद्र में नहीं लाएगा
गहलोत राजस्थान में ही मुख्यमंत्री बने रह जाएंगे। गांधी विरोधी नेता राजस्थान में उनका कोई विकल्प लाने की सोच भी नहीं रहे ना सोच सकते हैं।
दिल्ली में कांग्रेस पार्टी की उथल-पुथल से सचिन पायलट का भविष्यफल दांव पर लग गया है। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी , राजस्थान प्रभारी अजय माकन , अहमद पटेल, वेणुगोपाल , सुरजेवाला सभी का फोकस अब दिल्ली की राजनीति पर केंद्रित हो गया है ।सभी नेता सचिन पायलट को पुनर्वासित करने की जगह राहुल गांधी को कांग्रेस में पुनर्वासित करने में जुट गए हैं।उनकी प्राथमिकता अब सचिन पायलेट रहे ही नहीं हैं।ऐसे में गहलोत के मंत्रिमंडल का विस्तार रुक गया है। जो मंत्री हैं वही बने रहेंगे। ना कोई हटेगा ना कोई बनेगा। फिलहाल तो डोटासरा अध्यक्ष के साथ-साथ शिक्षा मंत्री भी बने रहेंगे।
सचिन पायलट और उनके लोगों का भविष्य दांव पर लग गया है। दिल्ली की उथल पुथल में सचिन पायलट अब किसी भी तरह दवाब तारी नहीं कर सकते। वे दिल्ली में ही हैं और अहमद पटेल व अजय माकन से मिल भी चुके हैं । अपने वादे को निभाने की बात भी कर चुके हैं, मगर बदली हुई परिस्थितियों में उनका कुछ होने वाला नहीं ।
पिछले दिनीं मीडिया में यह बात तेजी से उड़ी थी कि उन्हें गृह मंत्री बनाया जा रहा है मगर इस खबर का मैंने पहले भी खंडन कर दिया था। गहलोत ने कांच की गोलियां नहीं खेली जो राज्य की पुलिस उन्हें सौंप दें। अब जबकि दिल्ली की राजगद्दी के चारों तरफ अजगर फुँफकार मार रहे हों गहलोत सचिन पायलट की तरफ देखना भी पसंद नहीं करेंगे। वे अच्छी तरह जान गए हैं कि सचिन पायलट में अब कोई करंट नहीं बचा है ।यदि उनमें थोड़ा बहुत भी करंट होता तो भाजपा से डरकर वे कांग्रेस में वापस आकर अपनी बेकद्री नहीं करवाते । राज्य में उनके कई चिलगोजे यह प्रचार कर रहे हैं कि सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनने वाले हैं। गहलोत को हाईकमान दिल्ली भेज देगा।
मैं उनको बता दूं कि सचिन पायलट का मुख्यमंत्री बनना तो दूर मंत्री बनना भी संभव नहीं लग पा रहा। उनके चिलगोजों को भी अब हारे हुए जुआरी की तरह खामोश होकर बैठ जाना चाहिए।


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