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क़लमकार: मैं चाहता हूँ आप ज़िन्दा रहें और आप चाहते हैं मरना

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August 20, 2020

सरकार को आपके जीने मरने से कोई लेना देना नहीं: सचिन, गहलोत या पूनिया के लिए आप सिर्फ़ वोटर हैं

मैं चाहता हूँ आप ज़िन्दा रहें और आप चाहते हैं मरना

सरकार को आपके जीने मरने से कोई लेना देना नहीं: सचिन, गहलोत या पूनिया के लिए आप सिर्फ़ वोटर हैं

बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना

सुरेन्द्र चतुर्वेदी

राजस्थान में कांग्रेस और कोरोना दोनों ही अपनी सारी हदें तोड़ चुके हैं। कोरोना की रफ्तार दुगुनी हो गई है तो कांग्रेस की रफ्तार चार गुनी। दोनों ही अंधे होकर अंतहीन दिशा की ओर भाग रहे हैं ।
कई बार सोचता हूं कि कोरोना और कांग्रेस दोनों के बारे में ही लिखना छोड़ दूँ। नए विषयों पर लिखूं मगर फिर लगता है कि आती हुई आंधी से नज़र फेर कर जनता रसोई और सुशांत हत्या की सीबीआई इंक्वायरी पर कुछ भी लिखने से क्या होगा क्या होगा बारिश की तबाही के हाल लिखने से क्या होगा माउंट आबू के मौसम के बारे में कुछ लिखकर अजमेर में कानून व्यवस्था के बारे में लिखने से भी क्या हो जाएगा
दिनदहाड़े लूटपाट होने लगी है। रामगंज में पिस्तौल की नोक पर फाइनेंस कंपनी को लूटने का प्रयास हो या गेगल के फार्महाउस में एक कबाड़ी के यहां पड़ी डकैती की घटना।इनके बारे में कुछ लिखने से क्या हो जाएगा  क्या पुलिस डकैती की घटना लिखने से चाक चौबंद हो जाएगी क्या अपराधियों के हौसले पश्त कर पाएगी पुलिस क्या पुलिस सिस्टम के सोच में बदलाव आ जाएगा 
कुछ नहीं होगा । कुछ भी तो नहीं होगा। मेरे सामने लिखने के कई विषय हैं।इतने कि हर रोज दस बीस ब्लॉग लिख दूं ,मगर सोचता हूँ कि उनपर लिखने से कुछ होने वाला नहीं। जिस दर्द को आम जनता भोग रही है। उस यातना का सफ़र खत्म ही नहीं हो रहा ,ऐसे विषय पर ही क्यों न लिखूं  
कोरोना और कांग्रेस दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े हैं। कांग्रेस की सरकार है और कोरोना का हमला!! पिछले लंबे समय से सरकार नाम की कोई चीज़ ही नहीं देखी गयी। कांग्रेस पार्टी की सत्ता कलह ने सरकारी तंत्र को पूर्णतः नकारा और निकम्मा बना दिया है।सचिन पायलट को नकारा निकम्मा और धोखेबाज कहने वाले मुख्यमंत्री गहलोत अब जनता की नज़र में इन आरोपों के खुद हकदार हो गए। जनता के साथ नकारा और निकम्मे नेताओं ने जम कर धोखा कर दिया।
प्रजातंत्र की आड़ में खेल खेल जाता रहा । सत्ता को बचाने के लिए नैतिकता को दांव पर लगाया जाता रहा।
सचिन पायलट ने जिस पार्टी के साथ विश्वासघात किया उसी पार्टी की गोद में बैठकर अब वे दूसरी पारी में सत्ता का सुख भोगना चाह रहे हैं। उनकी ज़ुबान पर कोरोना का नाम ऐसे लगता है जैसे कोरोना मिट्टी का खिलौना हो और सचिन पायलट उसकी मार्केटिंग कर रहे हों। इधर अशोक गहलोत को फुर्सत ही नहीं कि वे शांति पूर्वक अपनी सरकार चला सकें। इतनी आपाधापी और टांग खिंचाई हो रही है कि वे चाहकर भी जनता को कोरोना के हमले से बचा नहीं पा रहे। चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा बेचारे क्या करें  अकेले पड़ गए हैं। जितना हो पा रहा है। कर रहे हैं। रोज़ कुछ ना कुछ करने की खबर अखबारों में छप रही है ।उनके हाथ पैर और जुबान दोनों ही हिलते तो नज़र आ रहे हैं। बाकी मंत्रियों के विभाग क्या कर रहे हैं, यह तो पता ही नहीं चल पा रहा ।
राजस्थान में कोरोना डबल धमाके कर रहा है। महाराष्ट्र, दिल्ली तमिलनाडु से ज्यादा तेज़ रफ्तार राजस्थान की हो गई है ।राजस्थान में पिछले 28 दिन में रोगियों की संख्या दोगुनी हो गई। 22 जुलाई तक 32 हज़ार 334 रोगी थे तो 19 जुलाई तक 65000 हो गए ।देश में इतनी तेज़ रफ्तार कहीं नहीं बढ़ रही ।मौतों की रफ्तार 45 दिन में दुगनी हो गई है।
आज के ही आंकड़े देखें जोधपुर 225, अलवर 224 , बीकानेर 209, कोटा 143 अजमेर 138 ,इनके अलावा अन्य जिलों में भी रोगी तेजी से बढ़ रहे हैं। अभी रफ़्तार कम होती नज़र नहीं आ रही। द्रुतगति से बढ़ रही है और बढ़ती रहेगी ।
क्या सरकार इस रफ़्तार को रोक नहीं सकती क्या इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सकता सवाल अपनी जगह जायज़ है मगर क्या इस बारे में सिर्फ़ सुरेन्द्र चतुर्वेदी ही सोचता रहे
मैं पिछले 5 महीनों से कोरोना को लेकर लिख रहा हूँ।कल तो मेरी श्रीमती जी ने ही मुझे कह दिया कि आप कोरोना के पीछे क्यों पड़े हुए हो  लॉक डाउन लगवाने की बात क्यों करते हो? श्रीमती जी की बात कभी कभी तो सही लगती है ।मरने दो बेवकूफ़ों को!! मुझे क्या !! जब सरकार ही अपने दायित्वों के बारे में चिंतित नहीं तो मैं क्यों बेगानी शादी में अब्दुल्ला बना हुआ हूँ? मैं ही क्यों आए दिन जनता को बचाने के लिए कलम घिसता रहता हूँ। जिले में सारे पत्रकार सिर्फ आंकड़े छाप कर अपने दायित्वों की इतिश्री कर रहे हैं ।रोज कोई पत्रकार मेडिकल बुलेटिन जारी कर देता है। दिनभर सोशल मीडिया पर जगह-जगह आंकड़े छापे जाते हैं।
मित्रों!! मैं पागल नहीं हूं मुझे कोरोना का दौरा नहीं पड़ा हुआ है, मगर मेरी आत्मा में लोगों को इस वैतरणी से पार करा देने का जज्बा है। केवल यही वजह है कि मैं आपको जागरूक करता रहता हूँ।
आप मरना चाहते हैं और मैं बिल्कुल नहीं चाहता कि आप मरे। मैं कोरोना को आपका साथ लेकर हराना चाहता हूँ। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप मुझे बेवकूफ माने या जागरूक


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