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August 17, 2020
एक गर्भपात के बाद भाजपा और काँग्रेस फिर गर्भवती
सचिन से की थी पूनिया और राठौड़ ने मुलाक़ात
पूनिया को हटाने के लिए ओम माथुर ने दी सलाह
गहलोत के पास कई विस्फोटक जानकारियाँ
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में फिर तूफान आएगा। राजस्थान की राजनीति एक अबॉर्शन के बाद फिर गर्भवती हो गई है। दोनों ही पार्टियों के पेट में उथल-पुथल का भ्रूण पल रहा है। यह जल्द ही शिशु का रूप लेकर अवतरित होने वाला है ।दोनों ही पार्टियों के गर्भवती होने का कारण कांग्रेसी अपेक्षाकृत युवा नेता और फारूक अब्दुल्ला के दामाद सचिन पायलट हैं ।
यहां आपको बता दूँ कि मैंने किसी भी पार्टी का कोई लिंग परीक्षण नहीं करवाया है मगर जब-जब जहां-जहां लिंग परीक्षण हुए उनकी जानकारी मुझ तक विश्वसनीय सूत्रों ने पहुंचाई है।
यहां आपको बता दूं कि जिस समय सचिन पायलट अपने 18 मासूम विधायकों के साथ बाड़े बंद हुए तब उनकी मुलाक़ात भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया व राजेंद्र राठौड़ से हो चुकी थी। ऐसा मैं दावा नहीं कर रहा जासूस दावा कर रहे हैं । इस बात का खुलासा मैं आगे करूंगा ।
फिलहाल आपको बता दूं कि उक्त दोनों भाजपा नेता केंद्रीय राजनेताओं की बेड -बुक में चले गए हैं। उनकी राजनीतिक कब्र वसुंधरा राजे और भाजपा के सशक्त पावर हाउस ओम माथुर ने पूरी तरह खोद दी है।
दरअसल आपको बता दूं कि पूनिया के व्हिप जारी करने के बावजूद चार विधायक 14 अगस्त को गहलोत के विश्वासमत हासिल करते समय मौजूद नहीं थे । उनका गायब होना पूनिया के लिए भारी पड़ रहा है। जैसा कि सब जानते हैं कि गहलोत ने विश्वास मत प्राप्त करते समय 123 मत हासिल किए । विधायक भंवरलाल मेघवाल बीमार होने के कारण नहीं पहुंचे ।जहां तक मेरी जानकारी है विधानसभा सत्र शुरू होते वक्त भाजपा के पूरे बहत्तर विधायक मौजूद थे ,पर जब सरकार ने विश्वास प्राप्त किया तब भाजपा के चार विधायक नज़र बचाकर खिसक लिए ।ये चारों विधायक वही थे जिन इलाकों को कांग्रेस ने पहले से ही शंकाओं में डाल रखा था ।बांसवाड़ा जिले के दो भाजपा विधायक हरेंद्र निनामा (घाटोल ), कैलाश मीणा, डूंगरपुर जिले के एकमात्र भाजपा विधायक गोपीचंद मीणा (आसपुर) और गौतम (धरियावद प्रतापगढ़) मतदान के वक्त गायब हो गए ।कहां गए यह भी मुझे मालूम है मगर यहां बताना फिजूल है।
हाँ, यहां यह बताना ज़रूरी है कि प्रदेश के होनहार अध्यक्ष सतीश पूनिया द्वारा जारी व्हिप पत्र पर इन चारों गायब होने वाले विधायकों के हस्ताक्षर हैं। हस्ताक्षर करने के बावजूद विधायकों का गायब हो जाना बेहद गंभीर मामला है और इन चारों को नियमानुसार भाजपा विधायक पद से भी निष्कासित कर सकती है। प्रदेश में बीते राज्यसभा चुनाव के समय भी एक भाजपा विधायक का वोट खारिज हो गया था ।
इस प्रकरण ने दिल्ली भाजपा को हिला कर रख दिया है ।पुख्ता जानकारी है कि हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया के विकल्प को तलाशना शुरू कर दिया है। सर्वविदित है कि डॉ पूनिया अशोक गहलोत सरकार को सचिन पायलट के रुख़ को देखते हुए गिराना चाहते थे ।साथ ही भाजपा के और कई नेता भी सक्रिय थे । पायलट ने बाड़े बंदी से पूर्व भाजपा नेताओं को यह यकीन दिला दिया था कि वे 30 से ज्यादा विधायकों को लेकर कांग्रेस के पलीता लगाएंगे । उनके विश्वास दिलाने पर सतीश पूनिया ने हाईकमान को सूचना दी और हाईकमान के दूत सक्रिय हो उठे।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राजेंद्र राठौड़ इस योजना में हर तरह से पुनिया के साथ सक्रिय हो गये।
इसी बीच आलाकमान के पावर हाउस माने जाने वाले नेता ओम माथुर को हालात का जायज़ा लेने जयपुर भेजा गया । माथुर भाजपा के चाणक्य हैं । उनकी व्यूह रचना का मुकाबला भाजपा में शायद ही कोई कर पाए। उन्होंने स्थितियों का जायज़ा लिया और हाईकमान को रिपोर्ट दी । रिपोर्ट में साफ़ कर दिया गया कि यदि अक्खड़ पूनिया को नहीं हटाया गया तो वे आने वाले समय में भाजपा को पूरी तरह से ले डूबेंगे । राजेंद्र राठौड़ के बारे में हाईकमान के पास पहले से ही विपरीत और विवादास्पद रिपोर्ट पड़ी हुई हैं।
राजस्थान की अधिकाँश भाजपा पूनिया और राठौड़ की दुगड़ी से आहत है और बदलाव चाहती है। ख़ास तौर से सचिन पायलेट का साथ देने के चक्कर मे बिगड़ी छवि के कारण।
जानकारी मिली है कि गहलोत जैसे सिद्ध हस्त जादूगर ने एस.ओ.जी. के माध्यम से बेहद ज़बरदस्त सूचनाएं और सबूत इकट्ठे कर लिए हैं। लोकेशन और फोटोग्राफ्स भी हथिया लिए हैं ।सचिन पायलट भले ही मना करते रहें । सतीश पूनिया भले ही यह बात न माने , मगर सरकारी एजेंसियों ने तीनों के मिलने के सबूत अशोक गहलोत तक पहुंचा दिए हैं। पायलट पूनिया और राठौर तीनों मिले और भाजपा फिर भी फेल हो गई। दुनिया भर में भाजपा की किरकिरी हुई ।
इस बात को लेकर भाजपा के केंद्रीय नेता सचिन पायलट के धोखे का तो कुछ नहीं कर सकते मगर पूनिया और राठौड़ को ठिकाने लगाने की तैयारी जरूर कर रहे हैं ।जानकारी मिली है कि वसुंधरा राजे को भी गहलोत ने किसी अज्ञात सूत्रों के जरिए सारी सूचनाएं दे दी थीं और वह भी दिल्ली जाकर आग में घी डाल आई हैं।
कांग्रेस में सचिन और गहलोत के बीच आगे क्या होने वाला है फिर किसी ब्लॉग में।
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