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August 12, 2020
कोरोना से दूर रहने को बारिश से बचें
पूनिया जी के पेट में गहलोती गैस
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
राजस्थान बर्बादी के अंतिम छोर पर है। कल मैंने जो ब्लॉग लिखा उस पर लोगों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की। मैं 300 ग्रुप्स के 60,000 मित्रों का आभार व्यक्त करता हूँ। मुझे खुशी है कि विगत 6 माह में मुझे भीलवाड़ा, नागौर, टोंक , जयपुर, चित्तौड़, उदयपुर, जोधपुर, कोटा, झुंझुनू और जैसलमेर के विभिन्न ग्रुप में जोड़ा गया है। अपनी पीठ थपथपाना या वाहवाही लूटना मेरा मक़सद नहीं बल्कि उन लोगों का आभार व्यक्त करना मेरा मक़सद है जो हर रोज़ मेरे ब्लॉग को अपना समर्थन देते हैं।
जहां तक उसकी वजह है, मैं यह मानता हूँ कि मैंने किसी भी राजनीतिक पार्टी से राखी नहीं बंधवा रखी। मैं किसी भी पार्टी से किसी भी रुप में जुड़ा हुआ नहीं हूँ।
हमेशा आम जनता के हितों की बात करता हूँ। हमेशा उस सच को सामने लाता हूँ जिसे जनता का जानना ज़रूरी होता है। 45 साल की पत्रकारिता ने मुझे इतना तो सिखा ही दिया है कि आने वाला कल किस तरफ करवट बदलेगा जान लेता हूँ
आज तक जो लिखा वह सच हुआ। सच इसलिए हुआ कि ईमानदारी से लिखा ।विवेक का इस्तेमाल करते हुए लिखा। आज का ब्लॉग भी आने वाले सच को सामने रखकर ही लिख रहा हूँ।
कोरोना और बारिश की दोस्ती है। किसी भी वायरस की दोस्ती बारिश के साथ गहरी ही होती है। बारिश में भीगने से विभिन्न प्रकार के वायरस शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। यह मैं नहीं कह रहा। विज्ञान कह रहा है।.... तो कोरोना काल में कृपया बारिश से बचें। बारिश में या तो बाहर न निकले और निकले भी तो सुरक्षित लिबास पहन कर । याद रखें,भीगने से छीकें आएंगी। छींकने से जुखाम होगा। ज़ुखाम से खाँसी होगी। खांसी से फेफड़ों पर जोर पड़ेगा। ज़ोर पड़ा तो बुखार होगा।बुख़ार हुआ तो उसका बिगड़ना भी तय है। बिगड़ा तो निमोनिया होना तय है। निमोनिया,दमा डायबिटीज सब आपस में दोस्त होते हैं। अब यह कोरोना और इनसे दोस्ती निभाने आ गया है। मैं इस विषय को यहीं समाप्त करता हूँ यह कहकर कि आप बारिश से बचें। भीगने से बचें ।
.और अब आता हूँ राजस्थान की वर्तमान राजनीति पर ।भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया इन दिनों हर रोज नया शिगूफा छोड़ने के लिए लोकप्रिय हो रहे हैं। कुछ ना कुछ ऐसी बात करना जो बेवकूफी के नज़दीक हो, उनकी आदत बन चुकी है।
ठीक उसी तरह जिस तरह अजमेर के भाऊ की है।भाऊ भी बयान विशेषज्ञ हैं। पत्रकारों को देख कर आपे से बाहर हो जाते हैं। उनके पेट में गैस बनने लगती है
यहां एक मजेदार बात याद आ गई। आप भी उसका मज़ा लें। अजमेर के एक नेता जी पेट में दर्द होने के कारण चल बसे। लोगों ने सवाल उठाया तो पोस्टमार्टम करना पड़ा। रिपोर्ट में आया कि और तो कोई दिक्कत नहीं थी सिर्फ़ आंतों में एक बयान चिपका हुआ था।
हमारे अजमेर के भाऊ और डॉक्टर सतीश पूनिया के पेट में हमेशा नए नए बयान पैदा होते रहते हैं। उनकी छोटी आंत और बड़ी आंत दोनों में ही बयान चिपक जाते हैं।
भाऊ के बारे में बताऊं कि जब भी जयपुर में प्रदेश हाईकमान का कोई नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाता है। अजमेर के भाऊ उसी मुद्दे पर पहले से ही बयान जारी कर देते हैं । इससे प्रदेश नेतृत्व की हवा निकल जाती है। कई बार तो जयपुर में ऐसा भी हुआ कि प्रदेश स्तर की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले वहीं भाऊ ने उसी विषय पर पत्रकारों को ब्रीफ कर दिया। उनकी इस आदत पर कई बार प्रदेश के नेता उनको आगाह भी कर चुके हैं। डॉक्टर सतीश पूनिया तो उन्हें साफ कह चुके हैं कि वे अपनी ऐसी हरक़तों से बाज़ आएँ।पर भाऊ तो भाऊ हैं।
अब कल डॉक्टर सतीश पूनिया ने ट्विटर पर एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा है कि आजादी के पहले 1942 में नारा था कि अंग्रेजों भारत छोड़ो और 2020 का नारा है गहलोत कुर्सी छोड़ो।
ज़ाहिर है कि पूनिया जी के पेट में फिर बयानबाजी का वायरस प्रवेश कर चुका है। कोरोना राजस्थान छोड़ो वाला नारा कोई नहीं लगा रहा। केवल कांग्रेस कुर्सी छोड़ो का नारा लग रहा है।
पता नहीं इन नेताओं को हो क्या गया है कि यह सिर्फ और सिर्फ कुर्सी के पीछे भाग रहे हैं। पूनिया जी के सपने देखो कि गहलोत कुर्सी छोड़ें और पूनिया जी उसे हथिया लें। कांग्रेस जाए तो भाजपा आए ।
ये तो मानसिकता है इन पढ़े-लिखे होशियार नेताओं की। ऐसे वक्त में जब पूरा प्रदेश मौत के मुंह में है। इन कमज़र्फ़ नेताओं को कुर्सी सूझ रही है। शर्म आनी चाहिए पूनिया जी को कि वे कोरोना के संकट काल में जनता की सुरक्षा के बयान नहीं दे रहे। उनके पेट का दर्द गहलोत की कुर्सी से पैदा हो रहा है। क्या पता उन्हें सपनों में भी गहलोत ही नज़र आते हों ।
सुना है 11 अगस्त से भाजपा के सारे विधायकों को एक पांच सितारा होटल में बंद किया जाएगा। बाड़े की राजनीति है या कबाड़े कि पता नहीं चल रहा।
भाजपा और कांग्रेस का चरित्र एक जैसा हो गया है। मैं अगर किसी विधायक को अपने घर में ज़बरदस्ती रख लूँ तो अपहरणकर्ता कहलाऊंगा। वे रख ले तो राजनीतिक शिविर
अभी मंत्री कल्ला जी ने कहा कि जैसलमेर में विधायकों का प्रशिक्षण शिविर चल रहा है।क्या वे जनता को इतना बेवकूफ़ समझते हैं कि उनको ये भी पता न हो कि बाड़ेबंदी क्या और क्यों होती है। निकम्मे नेता।
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