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क़लमकार: बड़े बेआबरू होकर तेरे कूँचे में हम लौटे

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August 11, 2020

घर से भागने का बहू को लगा  चस्का अब क्या कम होगा

‼बड़े बेआबरू होकर तेरे कूँचे में हम लौटे‼

घर से भागने का बहू को लगा  चस्का अब क्या कम होगा

गहलोत और वसुधंरा का तालमेल लाया रंग: दोनों बने पार्टी नायक

अविनाश पांडेय के कई चिलगोजों के क़द क़तरे जाना तय
           
              सुरेन्द्र चतुर्वेदी

                     चौबे जी छब्बे जी बनने गए थे, दुब्बे जी बनकर लौट आए !! सचिन पायलट की शर्मनाक वापसी !!  नाराज़ होकर, पति को आँख दिखा कर घर से निकली बहू वापस आई तो नगर वधू होकर चाल और चरित्र दोनों गए।
                     मुख्यमंत्री बनने की तमन्ना ने सचिन को कहीं का नहीं छोड़ा। खुद तो डूबे सनम अट्ठारह को और ले डूबे!! कांग्रेस की संगठन इकाई के प्रदेश अध्यक्षों की भ्रूण हत्या कर दी सो अलग   भाजपा देखती ही रह गई!!  जिसे गहलोत ने नाकारा, निकम्मा, धोखेबाज सबकुछ बोल दिया था।फिर भी उस पर भाजपा ने दांव खेला, वह किसी काम का नहीं निकला। गहलोत के खुलकर इतना बोलने के बावजूद भाजपा ने सचिन को मर्द समझा था, पर पूंछ उठाई तो.....
                         जो कांग्रेस का सगा नहीं रहा वह भाजपा का क्या होता कांग्रेस ने तो उसे छोटी सी उम्र में युवराज बना कर रखा था। जब वह उसी को आंख दिखाकर घर से निकल गया तो भाजपा के झांसे में क्या आता और आ भी जाता तो क्या निहाल करता
                 सचिन पायलट पूरे 1 महीने के बाद नाटकीय घटनाक्रम के तहत अशोक गहलोत की ही  शरण में लौट आए हैं। मुक़दमों का क्या होगा देशद्रोह की धाराएं तो हट गईं , बाकी भी अब हट ही जाएंगी। विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने जिन भावनाओं में बह कर जो किया उसका क्या होगा ख़ून के घूँट कौन-कौन पिएगा सचिन को नकारा, निकम्मा और धोखेबाज़ कहने वाले अशोक गहलोत अब सचिन पायलट को  किस तरह गले लगाएंगे बिना पानी पिए लगातार सचिन को कोसने वाले प्रताप सिंह खाचरियावास और शांति धारीवाल की आत्मा को कैसे शांति मिलेगी
                        सतीश पूनिया , भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जी !!!! आप तो बहुत बढ़ चढ़कर बोल रहे थे। सचिन पायलट में आपको तो भाजपाई चेहरा नज़र आ रहा था। कुल बुला रहे थे आप तो सचिन को अपना दत्तक पुत्र बनाने के लिए!!  कसमसा रही थी पूरी भाजपा उन्हें हथियाने के लिएधर्मेंद्र प्रधान जी और पीयूष गोयल जी!!  आपकी सौदेबाज़ी के तो तुल्ली लगा दी आपके सफ़ेद घोड़े ने!! जिन तीन निर्दलीय विधायकों को आपने दिल्ली के दिल मे छिपा रखा था सुना है उनको वापस लौटा दिया है । हरियाणा सरकार की तिमारदारी का क्या हुआ
                   वसुंधरा के दिल्ली जाते ही सब की आवाज़ ,बोलने का अंदाज़ सब बदल गया।
                  सचिन पायलट जो भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बनने की संभावनाओं को दिखा कर , दबाव की राजनीति खेल रहे थे, वसुंधरा के दिल्ली पहुंचते ही समझ गए कि अब उनका कांग्रेस में लौटना ही ठीक होगा। वरना वसुंधरा उनको ले बैठेगी। और वो डर कर लौट आए।
                       सचिन पायलट धोखेबाज़ ही थे। सही ही कहा था शायद अशोक गहलोत ने। जिस तरह वे लगातार धमकियों के बीच, हाईकमान के सर्वोच्च नेताओं की सलाह को ठुकरा रहे थे ,उनके हर आदेश की तौहीन कर रहे थे। हार कर पार्टी को उपमुख्यमंत्री पद से हटाना ही पड़ा था। प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटाना पड़ा था। वे जिस तरह, एक महीने तक गांधी परिवार को धमकियां देते हुए पांच सितारा होटल में अपने चिलगोजों को लेकर बैठे रहे। उन सब की भरपाई अब पार्टी कैसे कर पाएगी
                अशोक गहलोत की अच्छी भली सल्तनत को दांव पर लगाकर सचिन पायलेट नैतिकता, सिद्धांत और अंतरात्मा को कुचलते रहे। एक माह तक गहलोत अपने ही विधायकों की बाड़े बंदी करने पर मजबूर हो गए। करोड़ों का खर्च अब गहलोत किसके माथे डालेंगे। ये वही जाने ।
                      सचिन पायलट लौट आए हैं। कांग्रेस ने चैन की सांस ली है। गहलोत का मुख्यमंत्री बने रहना तय हो गया है। सचिन को केंद्रीय संगठन में कुछ समय बाद महामंत्री भी बना दिया जाएगा। उनके पिट्ठू विश्वेन्द्र सिंह को उप मुख्यमंत्री भी बना दिया जाए। यह कोई नामुमकिन नहीं कि उनके दो चार चिलगोजे मंत्री भी बन जाएं , मगर इस ब्लैक मेलिंग की राजनीति के बाद क्या सचिन पर कांग्रेस फिर से यकीन कर सकेगी
                       एक बार औरत घर से निकल जाए तो उसका घर से भागने का चस्का और बढ़ जाता है। जिस कलंक को लेकर वह  वापस ससुराल लौटती है, देवर जेठ, दौराणी, जेठानी, उसकी क़दर पहले जैसी तो नहीं करतीं। उसके कलंक की धुलाई किसी डिटर्जेंट पाउडर से नहीं होती।
                     अशोक गहलोत इस पूरे खेल में महानायक बनकर सामने आए हैं। अंत समय तक उन्होंने संख्या बल को बनाए रखा। चाहे जिस तरह भी। अगर हाईकमान सचिन पायलट की ब्लैक मेलिंग में नहीं आया होता तो वे भाजपा को अपना जादू बता कर ही मानते।
                      इस पूरे घटनाक्रम में दो ही चेहरे पूरी तरह मजबूती से खड़े नज़र आए। एक चेहरा तो खुद अशोक गहलोत का ही है दूसरा चेहरा है वसुंधरा राजे का। दोनों ने ही अपने पर बुरी नज़र रखने वालों को आईना दिखा दिया। यह सिद्ध कर दिया कि मुर्गों की बांग देने से कभी सूरज नहीं उगता।
                    डॉ पूनिया  का राजनीतिक भविष्य अब अवधि पार होने वाला लगता है। दवाइयों की एक्सपायरी डेट आने वाली है। वसुंधरा ताक़तवर थीं और रहेँगी। प्रदेश भाजपा में अब उनको बर्फ़ में नहीं लगाया जा सकेगा। ये उन्होंने स्पष्ट रूप से बता दिया है
                इधर सचिन पायलट भले ही कांग्रेस पार्टी में किसी भी पद को हथिया लें मगर अब वे दो कौड़ी की इज़्ज़त लेकर ही पार्टी में रहेंगे। उनके सफेद कुर्ते पर जो दाग लगा है उसे वे किसी भी लॉन्ड्री में धुलवा नहीं पाएंगे।
                इस पूरे खेल में एक अच्छी बात यह होगी कि अब अशोक गहलोत खुलकर राजनीति कर सकेंगे। प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय, जिस तरह आर्थिक प्रबंधन के लिए अपने चेलों को पाल रहे थे, उनके क़द को घटा दिया जाएगा। प्रभारी अविनाश पांडे निश्चित रूप से हटा दिए जाएंगे,यह तय है। उनके हटते ही प्रदेश के कई चिलगोजे मंत्री अपनी खाल में जकड़े जाएंगे। मेरा इशारा ही काफी है। अब कई मंत्रियों के पद ,क़द उनकी औक़ात सब कम होगी।
     
                   गहलोत खेमे ने तो अभी से ही ये बिगुल बजा दिया है कि सचिन और उनके 18 चिल्गोजो को बिना अग्नि परीक्षा लिए सत्ता और संगठन दोनो में कोई दायित्व नही सौंपा जाना चाहिए। इस मुद्दे को लेकर आज जैसलमेर में बहुत महत्वपूर्ण बैठक गहलोत के नेतृत्व में होगी।


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