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July 3, 2019
2127 # मधुकर कहिन
*पापीयों के बोझ की वजह से नहीं हो रही अजमेर में खुल कर बारिश
नरेश राघानी
अजमेर सचमुच *पापीयों की नगरी है ।* कोई *खुला पापी* है तो कोई *छुपा हुआ* । कोई *इंटरनेशनल पापी* है ,तो कोई *गुप्त पापी* है। जिस तरह से अखबारों में आए दिन रोज लोगों के छोटे-मोटे पाप सुर्खियां बना रहे हैं। ऐसे माहौल में *पाप का बोझ* अजमेर की धारा पर शायद इतना ज्यादा हो चुका है , कि *भगवान इंद्र भी अजमेर से नाराज है।* मुझे याद है बचपन में जब जब भी बुजुर्ग लोग अकाल और सूखे की बात किया करते थे। तो यही कहा करते थे, कि *फलानी जगह बिल्कुल भी बारिश नहीं हो रही है ।धरती का कंठ सूख गया है । और चारों तरफ पानी के लिए त्राहिमाम त्राहिमाम करते लोग सुनाई दे रहे हैं। जरूर इस धरती पर पाप का बोझ कुछ ज्यादा ही हो गया होगा । तभी बारिश नहीं हो रही।*
गत लोकसभा चुनाव में *दोनों ही पार्टी के प्रत्याशियों ने गला फाड़ फाड़ कर अजमेर की पानी की समस्या का हल निकालने का झूठ बोल बोल कर भरपूर पाप कमाया है ।* किसी ने ब्राह्मणी नदी से लिफ्ट में पानी लाने की बात कही , तो किसी ने यह कहा कि मैं *इतना पानी अजमेर में लाऊंगा , कि किसी को टैंकर की शक्ल देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी।* बहरहाल यह बात और है कि *जिस ने यह कहा वह अब खुद जनता की प्यास टैंकर सप्लाई कर कर के अपना वादा निभा कर पाप धो रहा है ।* जलदाय विभाग के कर्मचारियों ने तो जैसे सोच लिया है, कि *अजमेर से मुफ्त की तनखा उठानी है। क्योंकि काम वाम तो कोई है ही नहीं । लोगों को क्या है ? फोन करते रहेंगे चिल्लाते रहेंगे - पानी नहीं आ रहा है पानी नहीं आ रहा है । अपना क्या ?* *जलदाय मंत्री बीडी कल्ला* भी अजमेर में आते जाते रहते हैं, परंतु उन्होंने कभी भी अजमेर के निवासियों की प्यास के बारे में गंभीरता से नहीं सोचा । और सोचे भी क्यों ? *उन्हें मालूम है यहां पर ऐसे इंटरनेशनल पापी रहते हैं जिनका यह सब पाप काटना बहुत जरूरी है। तो पड़ा रहने दो पापियों को ऐसे ही !!! प्यास के मारे मरने दो ।* परंतु अब *जलदाय मंत्री कल्ला का यह नजरिया शायद इंद्र भगवान ने भी अपना लिया है ।* और बारिश ने भी सोच लिया है कि इस बार पूरी तरह से अजमेर की प्यास नहीं बुझानी है। आज शाम जब तेज आंधी हुई और थोड़ी देर के लिए बारिश आई। तो मेरे दफ्तर में बैठे हर व्यक्ति ने अभी राहत की सांस लेने की तैयारी ही की थी, की फिर बारिश बंद हो गई। उल्टा और पूरे माहौल में नमी और चिपचिपाहट सी हो गई । मेरा सहयोगी यश बोला - *सर !!! इससे तो अच्छा होता ई इतना पानी भी न बरसता। मैंने भी बड़े गंभीर स्वर में जवाब दिया - ज़रा धैर्य रखो वत्स !!! बस जैसे ही इस शहर में व्याप्त गुप्त पापियों को पकड़कर पुलिस ठिकाने लगा देगी तो अजमेर की धारा के पाप का बोझ थोड़ा कम हो जाएगा। और तब बारिश खुलकर बरसेगी ,और इतना बरसेगी कि पूरे जिले की प्यास बुझा देगी* । सुनते ही न जाने क्यूँ यश पेट पकड़ कर हंसने लगा।
अभी मैं मन ही मन यश की हंसी का कारण सोच पाता कि मैं खुद अपने ही कहे हुए शब्दों को लेकर एक विचार को जन्म दे बैठा। वह यह कि *कहीं यह कम बारिश अखिल भरतीय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अधूरे इस्तीफे के आज पूरे हो जाने पर तो नहीं आयी है। संभवतः यह कम बरस हुआ पानी उन कांग्रेसियों के घड़ियाली आंसू तो नहीं ? जो मन ही मन में राहुल के इस्तीफे से बहुत खुश है। लेकिन आलाकमान के डर से बस दिखाने भर के लिए आंखें नम कर रहे हैं। भाई खुल के बारिश तो शायद तभी होती जब वाकई कांग्रेसियों को दर्द होता और वो सच में दहाड़े मार मार कर रोते जिस से सारा आलम मूसलाधार बन जाता।*
खैर !!! गांधी परिवार से मुक्त होकर कांग्रेस चलाने का ख्वाब देखने वाले कांग्रेसियों की *यह खुशी वैसे भी, बहुत दिन तक टिकने वाली नहीं है।* क्योंकि अब राहुल गांधी का इस्तीफा स्वीकार करके अगर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी किसी और को अध्यक्ष नियुक्त करेगी ... तो *उस बेचारे अध्यक्ष की कौन सी चलने वाली है। वह भी रिमोट पर ही चलेगा और सुबह शाम दिन रात दस जनपथ के बाहर लट्ठ लेकर दरबान की तरह खड़ा रहेगा । ताकि अंदर से आदेश आए और वह आदेश पढ़कर बतौर कांग्रेस अध्यक्ष बाकी लोगों को सुना दे।*
इन सभी बातों से हटकर । मेरा अजमेर वासियों की ओर से देवराज इंद्र से करबद्ध निवेदन है कि, *हमें हमारे पापों के लिए बख्श दें, और अपनी कृपा हम पर खुलकर बरसाए। हम आपसे वादा करते हैं की हम इस अजमेर की पावन धरा पर किसी भी पापी का इतना पाप बर्दाश्त नहीं करेंगे ताकि इस धरा का बोझ बढ़ जाए। कृपा करें प्रभु !!! और अपना आशीर्वाद हम पर शीघ्र बरसायें।*
जय श्री कृष्ण
नरेश राघानी
प्रधान संपादक
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