Post Views 901
February 23, 2018
नरेश राघानी
एक बहुत ही पुरानी और मशहूर किसी शायर की दो लाइनें हैं। जिसमें शायर ने देर से आने को बहुत खूबसूरत ढंग से पेश किया है ।
*देर लगी आने में उनको*
*शुक्र है फिर भी आए तो*
आज यह दो लाइन पूरी तरह से प्रासंगिक साबित हो रही है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के काला कानून वापस लेने के निर्णय पर। यह सचमुच अपने आप में बड़ा प्रशंसनीय कदम है , जो वसुंधरा राजे ने जन भावनाओं का सम्मान करते हुए लिया है। एक जन नायक को यही संवेदनशीलता और यही झुकाव उसके चरम की पराकाष्ठा तक ले कर जाता है। मैं बधाई देना चाहता हूं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को कि उन्होंने यह समझदारी भरा कदम उठाया और यह संदेश दिया की *सरकारें जनता से बनती है और सरकारों के काम करने का मुख्य मंतव्य और योजनाओं का सही गंतव्य जनता की इच्छा अनुरूप ही होता है।* बधाई देना चाहता हूं सिस्टम में मौजूद हर छोटे-बड़े सिस्टम के हिस्से को जिसने कहीं प्रत्यक्ष तो कहीं अप्रत्यक्ष रूप से इस काले कानून का दबी आवाज में सही परंतु विरोध किया । सबसे बड़ी बधाई राजस्थान पत्रिका समूह को , जिसने काले कानून के खिलाफ यह जंग अपने ही अनूठे ढंग से लड़ी और अंजाम तक पहुंचा कर उत्सव भी मनाया। यह जीत लोकतंत्र के स्वच्छ विचार की जीत है।
*हारना और जीतना क्या ? किससे जीतना ? किसको हराना ? हमारी ही चुनी हुई सरकार को ? बिकुल नहीं* ... *जीत और हार का यह खेल दरअसल दो विचारों के बीच हुए संघर्ष का है।*
*यह काला विचार किसी के भी मन में आ सकता था चाहे वह भाजपा नीत वसुंधरा राजे सरकार हो यहां कोई और सरकार यहां बात किसी को हराने या जीता हुआ महसूस करने की नहीं है* ।
*अरस्तु कहते थे कि आपके अंदर काला और गोरा दोनों है तरह के विचार बसते हैं । दोनों में निरंतर युद्ध चलता रहता है। परंतु जीत उसी की होती है जिस विचार को आप ज्यादा बल देते है* ।
अंततः यह एक उत्तम विचार का की विजय का पल है । इसे किसी सरकार के साथ जोड़कर या किसी व्यक्ति विशेष के साथ जोड़कर जीत हार के रूप में देखना सही नहीं होगा। इस जीत को एक स्वस्थ लोकतंत्र की स्थापना हेतु उठाये गए सशक्त कदम के रूप में ही देख जाए तो बेहतर होगा।
अतः आप सभी को हॉराइजन हिंद न्यूज़ परिवार की ओर से काले विचार पर स्वच्छ विचार की जीत की हार्दिक मुबारक़बाद
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved