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January 30, 2018
भाई भाग्य हो तो डॉ रघु शर्मा जैसा
नरेश राघानी
जी हां जो कुछ मैं कह रहा हूं वह सटीक और सही है। मुद्दे की बात यह है कि डॉ रघु शर्मा बहुत ही भाग्यशाली व्यक्ति हैl जिनके लिए लोकसभा का टिकट और जीत जैसे भाग्य ने थाली में परोस कर दे दी है। बताऊ कैसे ?
सबसे पहली बात , सचिन पायलट जैसा कद्दावर नेता अपनी तैयार की हुई जमीन डॉ रघु शर्मा को दे दे और साथ लगकर चुनाव जिताने में मदद भी करें, जबकि ऐसा राजनीति में देखने को नहीं मिलता है कि कोई नेता अपनी तैयार की हुई जमीन या क्षेत्र पर किसी और को साथ रखकर विजय श्री दिलाने का प्रयास करें यह वाकई भाग्य का ही खेल है। दूसरी भाग्यशाली बात रघु शर्मा के लिए यह है कि सामने भाजपा के रामस्वरूप लांबा को कोई भी बहुत लंबा -चौड़ा राजनीतिक अनुभव नहीं है। लाम्बा बस दिवंगत जाट नेता सांवरलाल जाट के उत्तराधिकारी के रुप में चुनावी मैदान में खड़े हैं , उस पर भाजपा के अंदर बैठे समस्त जाट नेता किसी भी तरह की और नई सिरदर्दी खड़ी ना हो जाए की नीति के तहत लांबा को चुनाव जीतने में कोई खास मदद नहीं कर रहे हैं । सिवाय नागौर के जाट नेता सी आर चौधरी के कोई भी मतलब कोई भी भाजपा में बैठा जाट नेता लाम्बा के समर्थन में जी-जान से नहीं लग रहा है । जिससे लांबा की स्थिति कमजोर हो रही है उस पर ब्राह्मण समाज का डॉ रघु शर्मा के ब्राह्मण होने की वजह से पूरी तरह से धु्रवीकरण कांग्रेस के पक्ष में हो चुका है अतः भाजपा में बैठे जितने भी ब्राह्मण नेता है उनमें से कोई भी नेता खुलकर लांबा या भाजपा के पक्ष में काम करता हुआ नजर नहीं आ रहा है।चर्चा तो यह भी है कि डॉ बी पी सारस्वत तक सिर्फ मुंह दिखाई की रस्म अदा कर रहे हैं क्योंकि राजनीतिक गणित के हिसाब से यदि यह चुनाव डॉ रघु शर्मा जीतते हैं तो डॉ बी पी सारस्वत का भाजपा से अगली बार के लिए लोकसभा टिकट ब्राह्मण कोटे में प्राप्त करने का रास्ता खुलता है । तो यह भी एक ऐसा कारण है जो एक तरीके से ही सही परंतु रघु शर्मा के पक्ष में जा रहा है। उस पर भाग्य का खेल देखिए आनंदपाल एनकाउंटर केस के बाद राजपूत समाज का पूर्णरूपेण धु्रवीकरण भाजपा के विरोध में हो चुका है जिसका लाभ कांग्रेस को मिल रहा है। वहीं अजमेर शहर की दोनों सीटों पर , कभी देवनानी और कंवलप्रकाश कि आपसी खींचतान के चलते तो कहीं देवनानी और अनिता भदेल की खींचतान का नुकसान भी लाम्बा की हो रहा है । अब सोने पर सुहागा सुनिए एक सूत्र विशेष के अनुसार यह ज्ञात हुआ कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का कोई विकल्प ढूंढने में लगा है और संघ की नाराजगी भी अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री के लिए देखी जा रही है । जिसके तहत संघ ने इस उपचुनाव में अपनी गुप्त भूमिका निभाने के प्रति उदासीनता दिखाई है। सब कारणों के चलते डॉ रघु शर्मा का यह चुनाव जीतना लगभग तय दिखाई दे रहा है। अब बताइए चार बार विधानसभा का चुनाव हारे हुए डॉ रघु शर्मा के लिए संघर्ष काल भले ही बहुत लंबा रहा हो परंतु भाई किस्मत हो तो वाकई डॉक्टर रघु शर्मा जैसी हो। कहां पायलट का अपने मुख्यमंत्री बनने की लालसा के तहत अपनी तैयार की हुई जमीन डॉ रघु शर्मा को दे देना साथ लगकर चुनाव जिताना सामर्थ्य लगाना उस पर विरोधियों की इतनी सारी कमजोरियां और सब के स्वार्थ मिलकर जब डॉ रघु शर्मा को जिताने पर लगे हैं। यह भाग्य नहीं तो और क्या है ? अब सचिन पायलट चाहे यह सब करने के बाद मुख्यमंत्री बनें या न बनें लेकिन डॉ रघु शर्मा की तो लाटरी लग ही गयी समझो।
कहने का मतलब यह है कि अजमेर का उपचुनाव कांग्रेस के लिए एक जीती हुई बाजी है , जो की यदि कांग्रेस इतनी सब परिस्थितियां पक्ष में होने के बावजूद भी सही अंजाम तक लेकर जीत दर्ज न करवा पाई तो यह चुल्लू भर पानी में डूब कर मरने वाली बात होगी।
जय श्री कृष्णा
नरेश राघानी
प्रधान संपादक
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