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February 1, 2018
खुला पत्र एक निंदक के नाम
नरेश राघानी
आदरणीय किशन चौधरी जी ,
सबसे पहले तो मैं आपका बहुत-बहुत शुक्रगुजार हूं कि आपने मुझे इतना अपना समझा और कभी भी कोई परिचय होने के बावजूद इस योग्य समझा कि आप फोन पर मुझे हिदायत दे सकते हैं की मुझे क्या लिखना है और क्या नहीं लिखना चाहिए ।
बहुत पुरानी कहावत है कि निंदक नियरे राखिए यानी कि जो आपकी निंदा करें और आपको आपकी कमी का आभास कराएं वह दरअसल आपका हितेषी होता है । तो मैं आपकी इस सद्भावना का सम्मान करता हूँ। परंतु मैं आपसे कुछ कहना चाहता था जो उस वक्त मैं आपसे फोन पर नहीं कह पाया । तो मैंने यही ठीक समझा कि मैं इस पत्र के माध्यम से आपसे अपने मन की बात कह दूं क्योंकि मन की बात कहने का ठेका सिर्फ किसी एक व्यक्ति विशेष का इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में नहीं है । यह अधिकार हर आम नागरिक को है कि वह अपने मन की बात कहें और लिखें । बात आपके रोष की तो मैं आपके रोष का भी सम्मान करता हूं । आप किस व्यक्ति के बारे में क्या सोचते हैं यह आपका निजी अधिकार है और उस निजता के अधिकार का भी मैं तहे दिल से आदर करता हूं साथ ही मैं आपको यह कहना चाहता हूं की हो सकता है आप जिस ढंग से सोचते हैं वह बात ही सही हो । परंतु मैं यह मानता हूं कि एक स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था को कायम रखने के लिए पत्रकारिता की अपने आप में बहुत बड़ी भूमिका है । व इस भूमिका को निष्पक्ष और निर्भय रूप से निभाने के लिए हर पत्रकार बंधु स्वतंत्र होना चाहिए। मेरी किसी भी पार्टी के किसी भी उम्मीदवार के प्रति कोई निजी प्रतिद्वंदिता नहीं है ना ही कोई निजी बैर है। मैं मात्र वह लिख रहा हूं जो मुझे लग रहा है। पर हो सकता है परिणाम इसके बिल्कुल विपरीत जाएं परंतु मैं मेरे विचारों की अभिव्यक्ति कैसे करूं और कितनी करूं इस पर शायद सबसे ज्यादा हक मेरा ही होगा। चुनाव जीतने के बाद कोई भी उम्मीदवार किसी आप जैसे निष्ठावान कार्यकर्ता को तो क्या अपने वोटर तक को पहचानने से इंकार कर देता है । यह सिस्टम की विडंबना है और यही एक प्रमुख कारण है जिसकी वजह से इस देश में वोटर्स कमीशन बनाने की आवश्यकता महसूस हो रही है। जिसमें वोटर्स राइट्स एक्ट के तहत एक कानून बनाए जाने की भी जरूरत महसूस हो रही है । अतः इस पत्र के माध्यम से मैं बड़ी विनय भाव से आप के साथ हुए मेरे तल्ख वार्तालाप हेतु क्षमा चाहूंगा। परंतु इसका मतलब बिल्कुल भी या नहीं है कि मैं किसी के भी दबाव में आकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति को प्रभावित होने दूंगा और आपको भी एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि रहते हुए आम आदमी की अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान करना चाहिए ।आप जब भी अजमेर पधारें आपका स्वागत है आप आएं और मेरे साथ एक कप चाय पिए तो मुझे बहुत खुशी होगी ।
जय श्री कृष्णा
नरेश राघानी
प्रधान संपादक
9829070307
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