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January 30, 2018
मख्यमंत्री का बयान चुनाव प्रचार या चेतावनी ?
नरेश राघानी
वर्तमान उप चुनाव की सभी चुनावी सभाओं में जगह-जगह पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का जनता के मुखातिब होकर यह कहना कि - *केंद्र में और पूरे राज्य में भाजपा की सरकार है, ऐसे माहौल में यदि आप लोग किसी और को अजमेर लोकसभा का चुनाव जीताते हैं तो आखिर विकास कैसे हो पाएगा* ?
क्या या सही है ?
मुख्यमंत्री का यह बयान अपने आप में एक चेतावनी सा सुनाई देता है। जिसे अगर आम लोगों को दी जाने वाली धमकी भी कह दिया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं है । वैसे तो एक जनप्रतिनिधि चुनाव जीत जाने के बाद पूरी जनता का ही प्रतिनिधित्व विधानसभा में या लोकसभा में करता है। वह किसी पार्टी विशेष का व्यक्ति केवल तभी तक रहता है जब तक चुनाव का नतीजा नहीं आ जाता। नतीजा आ जाने के बाद वह व्यक्ति उस पूरे क्षेत्र की जनता का चुना हुआ जनप्रतिनिधि होता है । उसका उत्तरदायित्व बिना किसी विचारधारा विशेष से प्रभावित हुए केवल लोक कल्याण के कार्य करना ही होता है। मुख्यमंत्री का बार बार लगभग हर चुनावी सभा में दिया गया यह बयान न सिर्फ भाजपा के बल्कि सभी राजनीतिक दलों के अंतर्मन की पोल खोल देता है। जिसके तहत चुनाव जीत जाने वाले दल द्वारा सरकार बनाएं जाने के बाद विपक्ष के चुने हुए जनप्रतिनिधियों के प्रति द्वेषता पूर्ण भावना और उनके क्षेत्र के विकास की धनराशि उन तक ना पहुंचाए जाने कि पुष्टि होती है। इसका सीधा सीधा अर्थ सरल भाषा में यह है कि यदि किसी दूसरे राजनीतिक दल का प्रतिनिधि चुना जाता है तो उसके क्षेत्र के विकास की राशि पहुंचाने में राज कर रहे दल द्वारा बनाई गई सरकार रोड़े अटकाती है ।
आज तक इतिहास में जितने भी मुख्यमंत्री हुए हैं सभी सार्वजनिक तौर पर खुद पर इस तरह के इल्जाम लगाए जाने पर बचाव की मुद्रा में आकर बयान देते हुए ही दिखाई दिए हैं। परंतु राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पहली ऐसी मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने सरे आम जनता के बीच जनता के मुखातिब होकर इस बात की अप्रत्यक्ष स्वीकारोक्ति की है । और उनका यह स्वर जनता ने एक अप्रत्यक्ष चेतावनी के रूप में लिया है।आम लोगों में यह संदेश भी गया है कि यदि आप भाजपा के प्रत्याशी को यह चुनाव नहीं जीताते हैं तो आपके क्षेत्र का विकास कार्य कैसे होगा ?
एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि से इस तरह के बयान की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं कि जा सकती है।
समझ नहीं आता कि राजनेता लोग जो कि जनता के ही समर्थन से अपनी पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं वह चुनाव जीत कर सरकार बनाने के बाद इस तरह से सत्ता के नशे में चूर क्यों हो जाते हैं ? राजनेता यह क्यों भूल जाते हैं कि वह जिस मतदाता को इस तरह के बयान देकर चेतावनी दे रहे हैं दरअसल उन्हीं के मत और समर्थन से वह बने हैं। और यह मत और समर्थन उन्हें केवल 5 साल के लिए ही दिया गया है । यदि जनता उनके इन चेतावनी भरे शब्दों को याद कर के ज़हन में बिठा लेगी तो आने वाले चुनाव में उनका राजनीतिक भविष्य भी खतरे में पड़ सकता है।
यार और किसी को तो नहीं कहा जा सकता परंतु मुख्यमंत्री के इस बयान ने कम से कम भाजपा के अंदर व्याप्त अन्य दल के चुने हुए जनप्रतिनिधियों के प्रति द्वेषता पूर्ण भाव की पोल तो खोल दी है ।जिससे मुख्यमंत्री अब खुद भी इनकार नहीं कर सकती हैं।
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