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August 22, 2017
ग्राम कादेड़ा के राधेश्याम को मिला निःशुल्क उपचार, जन्मजात दिल की बीमारी से था पीड़ित
अजमेर। जन्मजात गंभीर रोगों से पीड़ित स्कूली बच्चों का राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आर.बी.एस.के ) अन्तर्गत मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, अजमेर में ही उपचार होने लगा है। ग्राम कादेड़ा, केकड़ी स्थित जी.पी. विद्यापीठ स्कूल का छात्र 12 वर्षीय राधेश्याम ऐसा ही एक किशोर है जिसे आरबीएसके योजना में निःशुल्क उपचार के बाद मंगलवार को छुट्टी दे दी गई। मित्तल हाॅस्पिटल के हार्ट एवं वास्कुलर सर्जन डाॅ सूर्य ने राधेश्याम का सफल आॅपरेशन किया। राधेश्याम को जन्मजात दिल की तकलीफ से निःशुल्क मुक्ति मिल गई।
जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ के के सोनी, जिला शिशु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ रामलाल चैधरी, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम समन्वयक सुश्री दीपिका विजय, जय अम्बे नवयुवक सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष एडवोकेट राजेश टण्डन, निदेशक सुनील मित्तल, वाइस प्रेसीडेंट श्याम सोमानी ने मित्तल हाॅस्पिटल से स्वस्थ होकर घर जाते मरीज राधेश्याम और उसके पिता सीताराम को शुभकामनाएं दीं। डाॅ चैधरी ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत राजस्थान में चिंहित 350 पीड़ितों में 70 अजमेर जिले के हैं। उन्होंने बताया िकइस योजना का वास्तविक जरूरतमंद को लाभ पहुंच रहा है। मरीज के पिता सीताराम ने डाॅ सूर्य एवं राज्य सरकार को दुआएं देते हुए कहाकि उसके बच्चे को नवजीवन मिला है। सीताराम ने बताया कि बच्चे की सांस फूलती थी वह खेल नहीं पाता था। शरीर कमजोर था। शारीरिक विकास रुक गया था।
डाॅ सूर्य ने बताया कि ऐसा फैफड़े की तरफ जाने वाली खून की नली के मध्य वाल्व में सिकुड़न होने से था इससे बच्चे के दिल का दायां हिस्सा बड़ा होने लगा था। उन्होंने बताया कि सर्जरी के बाद बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है।
निदेशक डाॅ दिलीप मित्तल ने बताया कि राज्य सरकार के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ( आर.बी.एस.के ) अन्तर्गत उपचार के लिए मित्तल हाॅस्पिटल को हाल ही में मान्यता प्रदान की है। राधेश्याम इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य लाभ पाने वाला पहला मरीज है। उन्होंने बताया कि राजकीय केंद्रीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय अजमेर की छात्रा 17 वर्षीय पूजा रावत को भी दिल की बीमारी के उपचार के लिए मित्तल हाॅस्पिटल रेफर किया गया है। उसका शीघ्र ही आॅपरेशन प्रस्तावित है। ऐसे बच्चों को उपचार के लिए अब अजमेर से बाहर नहीं ले जाना होगा। पूर्व में उन्हें उपचार के लिए जयपुर या अन्यत्र भेजा जाता था।
डाॅ मित्तल ने बताया कि राजस्थान सरकार ने राज्य के प्रत्येक बच्चे को स्वास्थ्य सुरक्षा व उसके समग्र विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 2015 से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया हुआ है। इसमें बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण सभी सरकारी विद्यालयों व आंगनबाड़ी केंद्रों पर समर्पित मोबाइल हैल्थ टीम के द्वारा कराया जाता है। बच्चों में संभावित विकारों की जांच कर उन्हें संबंधित गठित समिति द्वारा चिंहित किया जाता है और उन्हें बड़े चिकित्सालयों में भेज कर राज्य सरकार की ओर से निःशुल्क रोग निदान मुहैया कराया जाता है।
उल्लेखनीय है कि जन्मजात विकार -विकृति में पोषक तत्वों जैसे विटामिनों की कमी से होने वाले विकार, गंभीर बीमारी से पीड़ित अथवा शारीरिक विकास में कमी व शारीरिक अयोग्यता वाले बच्चों को शामिल किया गया है। यदि कोई बच्चा राज्य सरकार की ओर से सूचिबद्ध 30 चिंहित बीमारियों जैसे हृदय में वाॅल्व की खराबी, दिल में छेद, आंखों की जन्मजात बीमारी, होठों का कटा होना, तालुओं का चिपका होना आदि अन्य किसी तरह की शारीरिक अयोग्यता आदि से ग्रसित पाया जाता है तो इसे आगे इलाज के लिए रैफरल फोलोअप निःशुल्क प्रदान किया जाता है। कार्यक्रम के तहत जिन बच्चों के सर्जिकल इलाज की जरूरत होती है वह भी निःशुल्क मुहैया कराया जाता है।
निदेशक मनोज मित्तल ने बताया कि एक ही छत के नीचे समस्त सुपरस्पेशियलिटी स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने तथा संभाग के अजमेर, भीलवाड़ा, नागौर, टोंक, सहित आसपास के राजसमंद, पाली, चित्तौड़गढ़, सिरोही, सोजत, आदि क्षेत्रों के लोगों को बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं देने के दृष्टिगत मित्तल हाॅस्पिटल को ‘‘एनएबीएच’’ मान्यता प्राप्त है। अपने ध्येय वाक्य ‘‘आपका स्वास्थ्य संरक्षक’’ को चरितार्थ करते हुए मित्तल हाॅस्पिटल ने सामाजिक सरोकार के तहत श्रंृखलाबद्ध निःशुल्क चिकित्सा एवं परामर्श शिविर आयोजित कर सामाज के अंतिम तबके के वंचित और निर्धन वर्ग को भी सरकार की जनकल्याणकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुंचाने प्रयास किया है। भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत अबतक करीब 1400 गंभीर रोगियों को निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ मित्तल हाॅस्पिटल में मुहैया कराया गया है।
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