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February 4, 2021
आना सागर झील की अस्मत का बंटवारा करने को फिर सक्रिय हुए माफ़िया
फिर शहर को याद आई चिन्मयी गोपाल की
फिर संभागीय आयुक्त वीणा प्रधान और कलेक्टर राजपुरोहित को नम पलकों से देख रही है बदनसीब झील
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
आनासागर झील के आँसुओं को पौंछने के प्रयास में मैंने अब तक कई ब्लॉग्स लिखे।मेरे शब्दों के रूमाल छोटे पड़ गए मगर झील के सीने पर हमला करने वालों के इरादे हमेशा हत्यारे बने रहे।
एक तरफ शहर को स्मार्ट बनाया जाता रहा,दूसरी तरफ उसके सौंदर्य की प्रतीक आना सागर झील की अस्मत को, शैतानों का समूह आपस मे बाँटता रहा।अजमेर विकास प्राधिकरण, नगर निगम और ज़िला प्रशासन के आला अधिकारियों ने ऐसा नहीं कि समय समय पर झील के दर्द को नहीं समझा हो मगर जैसे ही संवेदनशील अधिकारियों के तबादले होते रहे ,शैतानी हमलावर फिर अपने बदनीयत इरादों से झील को बेचने में व्यस्त हो गए।
प्रभावशाली लोगों ने अपनी हैसियत और रुतबे से अधिकारियों को चुप रखने में क़ामयाबी पाकर झील के सीने पर मिट्टी डाल कर टापू बना लिया।भू माफ़ियाओं ने ऐसे करामाती खेल झील के साथ खेले कि उसपर टापू की शक़्ल में ऐशगाह बना ली।टापू का उपयोग ,नावों के ठेकेदारों की मदद से धन कमाने का साधन बना लिया गया।स्मार्ट सिटी को और स्मार्ट बनाया जाता रहा और भू माफ़िया इस झील को हर सिरे से लूटने में लगे रहे
आज शहर में एक ओर तो स्मार्ट सिटी योजना के तहत शहर को सुंदर बनाने के काम हो रहे हैं जिसमे मुख्य रूप से आनासागर के किनारे बनने वाले सात अजूबे का काम द्रुत गति से चल रहा है, पाथवे का काम भी तेज़ी से चल रहा है वहीं आनासागर पर भूमाफियाओं की नज़र हटने का नाम नही ले रही।
शहर जानता है कि मैंने अपने कई ब्लॉगों में झील के आँसुओं की पीड़ा को रो रो कर व्यक्त किया।भू माफ़ियाओं ने मुझे धमकियां दीं। लालच दिया,मगर मैं आज भी झील के साथ खड़ा हो कर कह रहा हूँ कि ज़िला प्रशासन के समस्त विभाग यदि आपसी सामंजस्य स्थापित कर , शहर के बारे में कुछ सकारात्मक सोच रख लें तो झील के मूल स्वरूप को बिगाड़ने से बचाया जा सकता है।
ऐसा नहीं कि अधिकारियों ने कभी कुछ किया ही न हो।नगर निगम की निवर्तमान आयुक्त लेडी सिंघम चिन्मयी गोपाल जब तक अजमेर रहीं उन्होंने झील के दुश्मनों से जम कर लोहा लिया।अजमेर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने भी संवेदनशील होकर झील के आंचल को तार तार होने से बचाया।
गौरव पथ पर ज़ी माल के पास जब खातेदारी की ज़मीन बताकर झील को मिट्टी डलवाकर भरा गया और फिर उस पर पक्की दीवार बनवा कर क़ब्ज़ा कर लिया गया तो चिन्मयी गोपाल और अजमेर विकास प्राधिकरण ने बहादुरी के साथ तुरंत क़ब्ज़ा ख़ाली करवा दिया।
ये वो बुरा वक़्त था जब निगम में भ्रष्ट तंत्र हावी था। मेयर से लेकर नीचे तक के लोग भूमाफियाओं के वकील बने हुए थे।आयुक्त चिन्मयी गोपाल को नीचा दिखाने में लगे हुए थे।धनबल से सारा तंत्र चलाया जा रहा था।सिसकती और कराहती झील को फौरी तौर पर राहत तो मिल गई मगर ईमानदार अधिकारियों के शहर से तबादला होते ही फिर से झील के बुरे दिन आ गए।
आज ढाक के तीन पात वाली कहावत के साथ झील की इज़्ज़त को लूटा जा रहा है।वही भूमाफिया,वही गिरोह फिर आनासागर के मूल स्वरूप के साथ बलात्कार कर रहा है, फिर आनासागर झील में मिट्टी डाल डालकर कृत्रिम ज़मीन बनाई जा रही है।फिर भू माफ़िया उसे हतियाने के प्रयास कर रहे हैं।
देवनारायण मंदिर के पास आज भी झील में मिट्टी डालकर बनाये गए विशाल प्लाट पर बस स्टैंड संचालित है,जबकि निगम इस ज़मीन को अधिग्रहित कर चुका है।ज़मीन निगम के क़ब्ज़े में है।निगम का कोई अफ़सर इस चल रहे बस स्टैंड को हटाने का दायित्व अपना नहीं मान रहा।
गौरवपथ पर गाड़ियों का आवागमन अत्यधिक होने से ये स्थान एक्सीडेंटल जोन बना हुआ है ,क्योंकि दिनभर प्राइवेट बसें इस अवैद्य बस स्टैंड से आती जाती रहती हैं।
इसी गौरवपथ पर अवैध व्यावसायिक निर्माण आज भी बेरोकटोक जारी हैं। भूमाफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि उन्हें किसी भी विभाग के , किसी भी स्तर के अधिकारी का कोई ख़ौफ़ नही है।
ज़िला कलेक्टर श्री प्रकाश राजपुरोहित और संभागीय आयुक्त वीणा प्रधान की मैं तारीफ करना चाहूंगा कि उनकी जागरूकता से ही स्मार्ट सिटी योजना के तहत होने वाले कई कामों ने गति पकड़ ली है। कई काम तो पूर्ण होने की स्थिति में हैं। नया पशु चिकित्सालय भवन बनकर तैयार हो चुका है और इस माह ही इसे पशु चिकित्सा विभाग को सौंपने की योजना है। ये पशु चिकित्सालय बेजुबान पशुओं के लिए वरदान सिद्ध होने वाला है।
इसी प्रकार के ई एम , अकबर के किले, आनासागर चौपाटी में भी चल रहे कार्यो ने इन ईमानदार और कर्मठ अफसरों की जागरूकता के कारण ही गति पकड़ रखी है।
एलिवेटेड रोड का काम जो पिछले ज़िला प्रसासन की धन लोलुपता के कारण धीमे गति का समाचार बना हुआ था अब द्रुतगति से चल रहा है । इसका मौका निरीक्षण भी संभागीय आयुक्त तथा जिला कलेक्टर द्वारा लगातार किया जा रहा है।
मैं एक बार फिर संभागीय आयुक्त व कलेक्टर महोदय से आग्रह करूँगा कि वो अपने साथ नगर निगम , अजमेर विकास प्राधिकरण, बिजली विभाग के अधिकारियों को साथ लेकर एक माह में एक बार भी यदि पूरे शहर का दौरा तय कर लें तो शहर में भूमाफियाओं द्वारा निर्बाध रूप से बेख़ौफ़ होकर किये जा रहे अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
जो व्यावसायिक निर्माण व्यवस्था के अंतर्गत कर लिए गए हैं उनको चिह्नित कर उनपर यदि कार्यवाही की जाए तो और कुछ नही तो सरकारी ख़ज़ाने को तो भरा ही जा सकता है। इससे निर्माणकर्ता में भी थोड़ा तो प्रशासन का डर बैठेगा,और निश्चित रूप से अभी निर्बाध रूप से चल रहे अवैध निर्माणों में कमी आएगी।
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