Post Views 11
July 29, 2021
संतो के चातुर्मास में मिल रहा प्रवचनो का लाभ पिपलिया बाजार स्थित श्री जैन स्थानक में धर्म सभा को संबोधित करते हुए–उपप्रवर्तिनी श्री राजमती जी म.सा.ने फरमाया कर्मों का भुगतान करते समय विद्या,धन,परिवार कोई सहयोगी नहीं बनता। व्यक्ति स्वयं कर्त्ता और स्वयं भोक्ता होता है। राजा हो या रंक सभी को जैसे कर्म किए वैसे फल अवश्य नसीब होते है। अशुभ कर्मों के उदय से गरीबी, तन का रोगी, सुखों का वियोगी होता है। अशुभ कर्मों को समभाव पूर्वक सहन करने से ही कर्मों की निर्जरा होती है तथा व्यक्ति आत्मिक सुख को प्राप्त करता है।डॉ.साध्वी राज रश्मि जी ने कहा सदधर्म की प्राप्ति के लिए इंद्रियों की पूर्णता, अविकल सबल शरीर होना आवश्यक है।चारित्र धर्म की प्राप्ति के लिए, अष्ट प्रवचन माताओं की आराधना के लिए इंद्रियों का सदुपयोग करना चाहिए। डॉ.साध्वी राजऋद्धि जी ने सुख विपाक सूत्र का विश्लेषण करते हुए स्वप्न की महत्ता,कालसर्प योग का कारण,शकुन विचार कितना उपयोगी पर विस्तृत जानकारी दी। संघ मंत्री पदम चंद बंब ने बताया कि–पूज्या महासती जी महाराज के सान्निध्य में नियमित प्रार्थना, प्रवचन सुचारू रूप से गतिशील है। संघ में तपस्या का क्रम भी चल रहा है, और दर्शनार्थियों का आवागमन भी जारी है।
© Copyright Horizonhind 2025. All rights reserved