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March 3, 2021
मन के जज़्बे ओर हौंसले से शारीरिक परेशानी को दी मात
कमर का निचला हिस्सा बेकार होने पर भी ड्यूटी आने के लिए मुकेश ने इलेक्ट्रिक सोलर व्हीकल को बनाया सहारा
मन में जज्बा ओर कुछ करने का हौंसला हो तो असम्भव को भी सम्भव किया जा सकता। इसी की एक मिसाल है अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में काम करने वाले मुकेश भाकर।
मुकेश का 2008 में अपने साथी को करंट से बचाते हुए एक्सीडेंट के दौरान कमर से नीचे का हिस्सा पेरेलिसिस से बेजान हो गया।
काफी लंबा इलाज चला, डॉक्टरों ने काम करने से भी मना कर दिया पर फिर भी मुकेश भाकर को घर बैठना गंवारा नहीं था।
मुकेश ने घर बैठने की जगह ऑफिस आने जाने के लिए एक इलेक्ट्रिक सोलर व्हीकल स्कूटर बनवाया। करीब 90 हज़ार के खर्च से बनी सोलर व्हीकल से उनको जहां ऑफिस आने जाने की सहूलियत मिली साथ में विभाग के ही एक कर्मचारी को साथ लेकर आज मुकेश स्वाभिमान से अपनी नौकरी कर रहे हैं। हालांकि कभी कभी उनका पैर से नीचे के हिस्सा पेरेलिसिस होने से दिक्कत होती है पर फिर भी उनका कहना है कि जब निगम उन्हें तनखाह दे रही है तो उन्हें भी काम तो करना ही है।
मुकेश एक मिसाल है उन लोगों के लिए जिनके शरीर हष्ट पुष्ट है परंतु फिर भी उनका काम करने का मन नहीं करता है। उन्हें मुकेश भाकर जैसे इंसान से कुछ सीखना चाहिए जो कि दिव्यांग होते हुए भी अपने हौसले को बरकरार रखे हुए हैं। मुकेश भाकर ने मीडिया से खास बातचीत करते हुए बताया कि उनको यदि थोड़ी बहुत सहूलियत मिल जाए तो वह अपना जीवन पूर्ण रूप से काम के प्रति समर्पित करना चाहते हैं। हालांकि उनको काफी कुछ शरीर में स्थाई चोट के कारण परेशानी होती है लेकिन फिर भी उनके हौसले के आगे उनकी परेशानियां बौनी साबित हो रही है।
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