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January 13, 2021
जब बरसात हुई ग़ज़लें,
सारी रात हुई ग़ज़लें।
तूने कहा सुख़नवर जब,
हाथों हाथ हुई ग़ज़लें।
जब जब तेरे मेरे बीच ,
टूटी बात हुई ग़ज़लें।
बुरे वक़्त ने जब जब भी,
मारी लात हुई ग़ज़लें।
शर्मो हया की ज़िद टूटी,
आदमजात हुई ग़ज़लें।
आँसू पहुंच गए लेकर,
जब बारात हुई ग़ज़लें।
जब भी मेरे मालिक ने,
दी ख़ैरात हुई ग़ज़लें।
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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