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October 24, 2020
नाम के आगे तुम मेरे दीवाना लिख देना,
क़ब्र पे मेरी यादों का तयख़ाना लिख देना।
खोल के सब खिड़की दरवाज़े मेरे रंगों से,
मेरे घर के बाहर तुम मयख़ाना लिख देना।
मेरे इश्क़ के बारे में जब पूछताछ हो तो,
जिस्म पे मेरे रूहों का याराना लिख देना।
उस दुनिया का हिस्सा हूँ मैं फ़क़त यही सच है,
इस दुनिया के खाते में बेगाना लिख देना।
मैं न मिलूँगा घर पर तो तन्हाई ढूँढेगी,
पता जो मेरा पूछे तो वीराना लिख देना,
जिनको बोझ छतों का ढोना आता हो दिल से,
उन दीवारों पर मेरा अफ़साना लिख देना।
आबो-दाना रहा मैं जिन ख़ुद्दार परिंदों का,
आँगन में तुम उनका आना-जाना लिख देना।
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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