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October 23, 2020
हर साल दशहरे पर रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बनाकर अपनी आजीविका चलाने वालों ने इस साल बिक्री की उम्मीद में पुतलों का निर्माण तो कर दिया, लेकिन अब तक बिक्री नहीं होने से कमाई तो दूर अब लागत निकालना ही मुश्किल हो गया है। बिक्री नहीं होने का कारण शहर के विभिन्न हिस्सों में रावण दहन के कार्यक्रम नहीं होना है। ऐसे में यह काम करने वाले परिवारों की चिन्ता बढ़ने लग गई है।
दशहरे पर होने वाले पुतलों की बिक्री को लेकर शहर के पुष्कर रोड, आनासागर चौपाटी के पास, माखुपुरा, आदर्श नगर, रामगंज आदि क्षेत्रों में पुतलों की बिक्री की जा रही है। जिले के विभिन्न गांवों से पुतला बनाने वाले कारीगर बीते दिनों से अजमेर में डेरा डाले हुए है और यहां पर पुतले बनाने का काम कर रहे थे।
इन कारीगरों ने यहां पर पुतलों का भारी भरकम स्टॉक भी जमा कर लिया। इनको उम्मीद थी कि दशहरे से दो चार दिन पहले पुतलों की बिक्री हो जाएगी और जो कमाई होगी, उससे परिवार का खर्चा निकल जाएगा। लेकिन अभी तक बिक्री नहीं होने से कारीगर और उनपर आश्रित परिवार की चिन्ता बढ़ने लग गई है।
पीसांगन निवासी गणपत जोगी, दुर्गालाल और संजय आदि ने बताया कि उन्होंने एक फुट से लेकर नौ फुट तक के पुतलों का निर्माण किया। करीब 70 हजार रुपए खर्च कर कई पुतलों का निर्माण किया। लेकिन, कोरोना के चलते आयोजन होने को लेकर ही संशय है और ऐसे में इनकी बिक्री अभी तक नहीं हुई है। पिछले साल बरसात के कारण ऐसे ही पुतले खराब हुए और अब कोरोना के चलते अब बिक्री नहीं होगी तो यह पुतले भी खराब ही होंगे।
कारीगरों ने बताया कि इन पुतलों को बनाने में कागज के पुट्ठे और बांस आदि से निर्माण किया गया है। यह पुतले अगले साल तक नहीं रुक सकते। अगर इस साल इनकी बिक्री नहीं हुई तो यह खराब ही होंगे। ऐसे में कमाना तो दूर, इस बार लागत निकालना भी भारी पड जाएगी। उन्होंने बताया कि पुतलों के निर्माण के लिए वे कर्ज लेकर आते है और पुतलों की बिक्री पर चुका देते है। ऐसे में अब कैसे कर्ज चुकाएंगे, कुछ समझ में नहीं आ रहा।
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