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विशेष:   दशहरा या विजयदशमी का त्योहार एवम इसका महत्व

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October 23, 2020

असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है,विजयदशमी का त्योहार

                                   
  दशहरा या विजयदशमी का त्योहार भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति के वीरता का पूजक, शौर्य का उपासक है। आश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाने वाला दशहरा यानी आयुध-पूजा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है।
असत्य पर सत्य की विजय - भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिए इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। दशहरा वर्ष की तीन अत्यंत शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारंभ करते हैं, इस दिन शस्त्र-पूजा, वाहन पूजा की जाती है।
 प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी जैसे अवगुणों को छोड़ने की प्रेरणा हमें देता है।
दशहरा शब्द की उत्पत्ति- दशहरा या दसेरा शब्द दश (दस) एवं अहन्‌‌ से बना है। दशहरा उत्सव की उत्पत्ति के विषय में कई कल्पनाएं की गई हैं। कुछ लोगों का मत है कि यह कृषि का उत्सव है। दशहरे का सांस्कृतिक पहलू भी है।
 
भारत कृषि प्रधान देश है। जब किसान अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है तो उसके उल्लास और उमंग का ठिकाना नहीं रहता। इस प्रसन्नता के अवसर पर वह भगवान की कृपा को मानता है और उसे प्रकट करने के लिए वह उसका पूजन करता है।  वही इस उत्सव का संबंध नवरात्रि से भी है क्योंकि नवरात्रि के उपरांत ही यह उत्सव होता है और इसमें महिषासुर के विरोध में देवी के साहसपूर्ण कार्यों का भी उल्लेख मिलता है। 
राम और रावण का युद्ध- रावण भगवान राम की पत्नी देवी सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। भगवान राम युद्ध की देवी मां दुर्गा के भक्त थे, उन्होंने युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन दुष्ट रावण का वध किया। इसलिए विजयादशमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। राम की विजय के प्रतीक स्वरूप इस पर्व को विजयादशमी कहा जाता है।
दशहरा पर्व पर मेले- दशहरा पर्व को मनाने के लिए जगह-जगह बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। यहां लोग अपने परिवार, दोस्तों के साथ आते हैं और खुले आसमान के नीचे मेले का पूरा आनंद लेते हैं। मेले में तरह-तरह की वस्तुएं, चूड़ियों से लेकर खिलौने और कपड़े बेचे जाते हैं। इसके साथ ही मेले में व्यंजनों की भी भरमार रहती है।
भारत में हिमाचल प्रदेश में कुल्लू घाटी का दशहरा बहुत प्रसिद्ध है । यहाँ का दशहरा देखने देश-विदेश के लोग आते हैं । यहाँ श्रद्‌धा, भक्ति और उल्लास की त्रिवेणी देखने को मिलती है ।
लेकिन इस बार ऐतिहासिक दशहरे मेले  में वैश्विक महामारी कोरोना के चलते भीड़ नहीं होने के कारण पहले जैसे रौनक नजर नहीं आएगी, मेले आयोजन के लिए औपचारिक तौर पर परंपराओं का निर्वहन शुरू किया जाएगा और कोरोना नियमों के चलते 25 अक्टूबर को विजयदशमी पर रावण दहन तो होगा लेकिन उसमें पहले की तरह लोगों की भीड़ जमा नहीं हो सकेगी जिसके कारण इस बार विजयदशमी का पर्व फीका नजर आएगा 
 दशहरा के त्यौहार पर 
रामलीला का भी आयोजन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा, शस्त्र पूजन, हर्ष, उल्लास तथा विजय का पर्व है। रामलीला में जगह-जगह रावण वध का प्रदर्शन होता है।
शक्ति के प्रतीक का उत्सव- शक्ति की उपासना का पर्व शारदेय नवरात्रि प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। इस मौके पर लोग नवरात्रि के नौ दिन जगदंबा के अलग-अलग रूपों की उपासना करके शक्तिशाली बने रहने की कामना करते हैं। भारतीय संस्कृति सदा से ही वीरता व शौर्य की समर्थक रही है। दशहरे का उत्सव भी शक्ति के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला उत्सव है।

विजयदशमी  महत्व
 दशहरा का दिन अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन मजदूर-श्रमिक लोग अपने काम के यंत्रों की पूजा करते हैं और लड्डू बाँटकर खुशी जाहिर करते हैं। दशहरे का पर्व असत्य पर सत्य एवं बुराई पर अच्छाई की विजय माना जाता है। इस दिन श्री राम ने बुराई के प्रतीक रावण का वध किया था। अतः हमें भी अपनी बुराइयों को त्यागकर अच्छाइयों को ग्रहण करना चाहिए तभी यह दिन सार्थक सिद्ध होगा


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