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October 8, 2020
मधुकर कहिन
अजमेर वासियों के लिए सर दर्द बन चुका है एलिवेटेड रोड का निर्माण
निर्माण प्रभावित क्षेत्र में व्याप्त दुकानें होने लगी है बंद।
नरेश राघानी
अजमेर शहर के मध्य भाग में चल रहे एलिवेटेड रोड के निर्माण कार्य की वजह से ,व्यापार जगत में खलबली मची हुई है । जहां-जहां भी एलिवेटेड रोड का काम चल रहा है उन सड़कों पर व्यापार बहुत गंभीर स्थिति तक प्रभावित हो चुका है। यह दुष्प्रभाव इतना गहरा है कि इसके चलते सैकड़ों दुकानदार अपनी दैनिक रोजी-रोटी से महरूम होते दिखाई दे रहे हैं । प्रत्यक्ष जानकारी के अनुसार विशेष तौर पर क्लॉक टावर थाना क्षेत्र से लेकर मार्टिण्डले ब्रिज तक जाने वाली सड़क पर लगभग सभी दुकाने बंद नजर आती है।
कल ही एक व्यापारी बड़ा दुखी होकर बोला भाई साहब !!! मैं गलती से उस सड़क पर अपनी गाड़ी लेकर चला गया। ऊपर से एक सरिया भनभनाता हुआ मेरी गाड़ी के ऊपर आ गिरा। जिससे मेरी गाड़ी का नुकसान होते होते बच गया। गनीमत है कि वह सरिया गाड़ी पर गिरा । मेरे सर पर नहीं ... नहीं तो शाम को जेएलएन अस्पताल की इमरजेंसी में पड़ा दिखाई देता। आगे बताते उसने कहा - जैसे ही मैंने गाड़ी से उतरकर वहां काम कर रहे हैं मजदूरों से कहा- भाई !!! थोड़ा संभल के ... यह क्या कर रहे हो तो उनमें से एक मजदूर तमतमाता हुआ आया और बोला हमने तो रास्ता बंद करवा रखा है काम करने के लिए ... आप इस सड़क से आए ही क्यों
जिस पर आस पड़ोस की दुकानों पर बैठे कुछ दुकानदार उतर कर आए और उस पीड़ित का बचाव करने लगे ।
अब बताइए यह भी कोई बात हुई भला !!! एक तो व्यापार के ऊपर करोना की मार , फिर एलिवेटेड रोड पर काम करवाती राज्य सरकार , उस पर हमारे शहर के सम्मानित पत्रकार
आखिर बेचारा आम आदमी जाएं तो जाएं कहां
पिछले दिनों पत्रकारिता जगत के एक मसीहा ने इस एलिवेटेड रोड को अपनी उपलब्धियों में गिनवाते हुए अखबार में बहुत बड़े-बड़े लेख छपवा दिए। कोई उनके पास जाकर व्यापारी वर्ग की इस आर्थिक तंगी का निदान क्यों नहीं पूछता भाई फिर जिस तरह से काम चल रहा है उस तरह से आखिर कितने साल और ये सब व्यापारी को भुगतना होगा
आर्थिक रूप से सशक्त लोग भले ही यह न सोच पाएं की उन छोटे व्यापारियों पर क्या गुज़र रही है , जिनकी दुकान पर अब शायद अनिश्चित काल तक उनका ग्राहक नहीं पहुंच पायेगा। लेकिन राज्य सरकार और जन प्रतिनिधियों की भी क्या आंखें बंद है जो यह नहीं सोचते कि बेवजह की बातों पर आंदोलन , धरने और प्रदर्शन करने से बेहतर है कि इस लंबे खींचते हुए निर्माण कार्य को जल्द से जल्द पूरा करवाने पर कोई बात करें।
नेताओं का क्या है उनकी दुकान तो वह कोटि और खादी की टोपी है। बस पहनी और निकल पड़े शहर भर की चौधराहट करने। लगे हुए है बस कोई पायलट को खुश करने में तो कोई गहलोत की चमचागिरी करने में। कोई देवनानी के साथ फोटो खिंचवाने में तो कोई खुद के वार्ड से पार्टी टिकट कबाड़ने में।लोगों का दर्द जाए भाड़ में। यदि उनकी खुद की दुकान इस एलिवेटेड रोड की जद में आ जाती तो पता पड़ता कि ऐसे में परिवार का हाल क्या होता है
बचा प्रशासन ... वह तो ठहरा प्रशासन ,वह भी आखिर व्यापारी के दर्द को एक हद तक ही तो समझ सकता है। प्रशासन की अपनी रफ्तार है और अपना ही तरीका।
खैर अभी एलिवेटेड रोड का कार्य जब तक चलेगा तब तक मुझे नहीं लगता कि वहां पर कोई बाजार शेष बच जाएगा।इसलिए व्यापारिक समझदारी वाली बात तो यही है कि वहां बसे दुकानदारों को तुरंत प्रभाव से अपनी दुकाने समेट कर शहर के नए विस्तार यानी कि जयपुर रोड और वैशाली नगर की तरफ बढ़ जाना चाहिए क्योंकि जिस तरह का माहौल है वह माहौल देखते हुए यही लगता है कि अब उस क्षेत्र में मात्र ट्रैवल एजेंसी और रोजमर्रा के छोटे-मोटे सामान बेचने के योग्य बाजार ही रह जाएगा। जो लोग कोई स्थापित बड़ा शोरूम लेकर व्यवसाय करना चाहते हैं उन सब लोगों को शहर के नए विस्तार की तरफ बढ़ना ही पड़ेगा ।
इस एलिवेटेड रोड के निर्माण की वजह से जो कोई भी लाभ अजमेर की जनता को ट्रैफिक के लिहाज से होना है। वह तो हो ही जाएगा। परंतु जब तक उस लाभ की स्थिति में यह शहर पहुंचेगा , तब तक इस एलिवेटेड रोड के निर्माण कार्य की जद में आए हुए व्यापारियों का व्यापार इस लाभ का आनंद लेने हेतु शायद बचेगा ही नहीं क्योंकि इस लाभ के लिए जिस तरह की बड़ी कीमत छोटे व्यापारी चुका रहे हैं वह भी ऐसी मंदी और कॅरोना काल में .... इस दर्द का अंदाज़ा शायद अभी कोई नहीं लगा पा रहा है सिवाय उन व्यापारियों के।
जय श्री कृष्ण
नरेश राघानी
प्रधान संपादक
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