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December 9, 2025
जयपुर। राजस्थान पुलिस अकादमी में सोमवार को आयोजित भव्य दीक्षांत परेड समारोह महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण बन गया। इस अवसर पर राजस्थान पुलिस की 241 और पुलिस दूरसंचार विभाग की 76—कुल 317 महिला कांस्टेबलों ने औपचारिक रूप से प्रशिक्षण पूरा किया। समारोह के मुख्य अतिथि महानिदेशक पुलिस (डीजीपी) राजीव कुमार शर्मा ने परेड की सलामी ली और कहा कि यह परेड न केवल राजस्थान पुलिस की बढ़ती दक्षता का प्रतीक है, बल्कि महिला सशक्तिकरण का ऐतिहासिक क्षण भी है।
समारोह में राष्ट्रीय ध्वज एवं पुलिस कलर पार्टी को परेड द्वारा अभिवादन किया गया। रिटायर्ड डीजीपी पी.एस. बैंस, के.एल. बैरवा, डीजी लॉ एंड ऑर्डर संजय अग्रवाल, डीजी ट्रैफिक अनिल पालीवाल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। आरपीए निदेशक संजीब कुमार नार्जारी और अतिरिक्त निदेशक शंकर दत्त शर्मा ने आगंतुकों का स्वागत किया।
+21वीं सदी का सबसे बड़ा रिफॉर्म—नई न्याय संहिता: डीजीपी शर्मा
डीजीपी राजीव कुमार शर्मा ने नए आपराधिक कानूनों—भारतीय न्याय संहिता, नागर प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम—की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये कानून भारतीय क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में 21वीं सदी का सबसे बड़ा सुधार हैं। उन्होंने बताया कि इन कानूनों में तकनीक को इस प्रकार समाहित किया गया है कि आने वाले 50 वर्षों की चुनौतियों का समाधान सहज रूप से मिल सकेगा।
उन्होंने कहा कि नए कानूनों के पूर्ण क्रियान्वयन के बाद सुप्रीम कोर्ट तक किसी भी आपराधिक मामले का निर्णय तीन वर्षों के भीतर संभव होगा। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को कठोर दंड और अलग अध्याय देकर विशेष महत्व दिया गया है।
नए कानूनों के क्रियान्वयन में राजस्थान सबसे सक्रिय—1500+ मास्टर ट्रेनर तैयार
डीजीपी शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के मार्गदर्शन में राजस्थान पुलिस आधुनिकीकरण और नए कानूनों को प्रभावी तरीके से लागू करने की दिशा में तीव्र गति से काम कर रही है।
अब तक 1500 से अधिक अनुसंधान अधिकारियों को ‘मास्टर ट्रेनर’ के रूप में प्रशिक्षित किया जा चुका है।आईगोट (iGOT) कर्मयोगी पोर्टल पर 80,000 से अधिक पुलिसकर्मी रजिस्टर्ड हैं और लगातार ऑनलाइन प्रशिक्षण ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राजस्थान पुलिस नई तकनीक, साइबर फॉरेंसिक, डेटा एनालिटिक्स और आधुनिक जांच पद्धतियों में तेजी से दक्ष हो रही है।
न्याय सिर्फ कानूनी प्रक्रिया नहीं—पीड़ित को सम्मान और त्वरित राहत भी जरूरी
डीजीपी शर्मा ने प्रशिक्षुओं से कहा कि पुलिस सेवा का सार संवेदनशीलता है।
उन्होंने कहा कि न्याय सिर्फ कानूनी प्रक्रिया नहीं है। पीड़ित को सम्मान देना, उसे ध्यान से सुनना और जल्द राहत देना भी न्याय का ही हिस्सा है। उन्होंने नई पुलिसकर्मियों को गरीब, असहाय और कमजोर लोगों की सेवा के हर अवसर को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानने की प्रेरणा दी।
साइबर क्राइम के दौर में—डेटा एनालिसिस और साइबर पेट्रोलिंग पर जोर
डीजीपी शर्मा ने कहा कि तेजी से बदलती तकनीक के साथ तालमेल बनाए रखना आधुनिक पुलिसिंग की आवश्यकता है। उन्होंने युवतियों को सलाह दी कि वे—
नई भाषाएँ सीखें
कंप्यूटर व डिजिटल स्किल्स मजबूत करें
डेटा कलेक्शन व एनालिसिस में दक्षता विकसित करें
साइबर पेट्रोलिंग और ऑनलाइन अपराध नियंत्रण में सक्रिय भूमिका निभाएँ
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा डीजी-आईजी कॉन्फ्रेंस में दिए गए निर्देश—“पुलिस की छवि जनता में सकारात्मक और भरोसेमंद बने”—राजस्थान पुलिस के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।
14 महिला पुलिसकर्मियों का सम्मान
समारोह में प्रशिक्षण अवधि में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली 12 महिला प्रशिक्षुओं को स्मृति चिन्ह व प्रशंसा पत्र प्रदान किए गए। साथ ही आरपीए की दो वरिष्ठ प्रशिक्षक—पुलिस निरीक्षक रजनी मीणा और मीना वर्मा—को भी सम्मानित किया गया
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