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November 2, 2025
तीर्थ गुरु पुष्कर में कार्तिक एकादशी स्नान से शुरू हुआ पंचतीर्थ महोत्सव — आस्था, अध्यात्म और अद्भुत श्रद्धा का संगम, संतो के सानिध्य में निकली आध्यात्मिक यात्रा
तीर्थ नगरी पुष्कर में कार्तिक एकादशी के साथ पंचतीर्थ महा स्नान का शुभारंभ हुआ। एकादशी स्नान के साथ ही पुष्कर के वार्षिक धार्मिक मेले का आगाज भी हो गया। इस अवसर पर देशभर से आए लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई और धर्म अनुष्ठानों में भाग लिया। अलसुबह से ही घाटों पर महिलाओं और पुरुष श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी, जिन्होंने पूजा, तर्पण और दान-पुण्य कर धार्मिक आस्था का परिचय दिया।
तीर्थ पुरोहित सतीश तिवाड़ी ने बताया कि कार्तिक माह में एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिनों तक तैंतीस करोड़ देवी-देवता पुष्कर सरोवर में वास करते हैं। इस दौरान स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व होता है। ज्योतिषाचार्य कैलाशनाथ दाधीच के अनुसार, कार्तिक स्नान का फल गंगा और कुम्भ स्नान से भी कई गुना अधिक पुण्यदायी माना गया है। इस बार पंचतीर्थ स्नान चार दिन तक चलेगा और 5 नवंबर को पूर्णिमा स्नान के साथ संपन्न होगा। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस, एसडीआरएफ, सिविल डिफेंस और ट्रैफिक विभाग ने विशेष सुरक्षा और यातायात प्रबंध किए हैं। सीओ ग्रामीण रामचंद्र चौधरी ने बताया कि मेले के दौरान वन-वे ट्रैफिक व्यवस्था लागू की गई है ताकि यातायात सुचारू रूप से चल सके।
वही दूसरी ओर धार्मिक मेले के शुभारंभ पर भव्य आध्यात्मिक पदयात्रा का आयोजन किया गया। यात्रा की शुरुआत कैबिनेट मंत्री सुरेश सिंह रावत और निवर्तमान सभापति कमल पाठक ने हरी झंडी दिखाकर की। यात्रा गुरुद्वारे से शुरू होकर ब्रह्मा मंदिर होते हुए मेला मैदान तक पहुंची। मार्ग में नगरवासियों और विभिन्न संगठनों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। आध्यात्मिक यात्रा में संत-महंत, साधु-संत, विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि और विदेशी पर्यटक भी शामिल हुए। विदेशी मेहमानों ने “हरे राम हरे कृष्ण” का कीर्तन करते हुए भारतीय आध्यात्मिकता का अनुभव किया। संत महामंलेंडलेश्वर नंदशरण दास ने पुष्कर की पौराणिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए नगर को नशामुक्त और सौहार्दपूर्ण बनाए रखने का संदेश दिया। कैबिनेट मंत्री सुरेश सिंह रावत ने तीर्थराज पुष्कर की धार्मिक परंपराओं की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन समाज में एकता, प्रेम और शांति का संदेश देते हैं। पुष्कर में बिखरी अध्यात्म और संस्कृति की इस अनोखी छटा को देखकर हर कोई भाव-विभोर हो उठा।
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