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April 30, 2017
सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगेगा, लेकिन यह वाकया बिलकुल सच है. आपने शायद ही कभी ऐसा सुना होगी कि प्रधानमंत्री बकरी चराने गए हैं और राष्ट्रपति खेतों में पानी दे रहे हैं. लेकिन आज हम जिस गांव की बात करने जा रहे हैं, वहां ऐसा ही कुछ होता है. बता दें, राजस्थान के बूंदी जिले में पड़ने वाले इस रामनगर गांव में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के अलावा यहां राज्यपाल कंचे खेलते हैं तो एक टूटी बंदूक के लिए कलेक्टर आपस में भिड़े रहते हैं. लेकिन ये सब यहां क्यों और कैसे होता है, यह जानने के बाद आप एक बार हैरत में जरूर पड़ जाएंगे. करीब 500 आबादी वाले रामनगर गांव में ज्यादातर कंजर और मोंगिया समुदाय के लोग रहते हैं. इस गांव में लोग अपने बच्चों के नाम सरकारी पदों, संस्थाओं और हस्तियों के नाम पर रखते हैं. इन नामों में राज्यपाल, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सेमसंग, एंड्रायड, सिम कार्ड, चिप, जिओनी, मिस्ड कॉल, और हाई कोर्ट जैसे अजीबोगरीब नाम शामिल हैं.माने तो इस गांव में ज्यादातर लोग अनपढ़ हैं और इनके बीच ये नाम काफी प्रचलित हैं. यहां पर 50 साल के एक व्यक्ति का नाम कलेक्टर है, लेकिन यह बात अलग है कि कलेक्टर ने आज तक स्कूल का चेहरा तक नहीं देखा है. यहां के लोग अधिकारियों की पदों से प्रभावित होकर अक्सर अपने बच्चों के नाम आईजी, एसपी, हवलदार और मजिस्ट्रेट रख लेते हैं. इस अजीब रिवाज के पीछे जुड़ी कहानी भी कम अनूठी नहीं है. बताया जाता है कि तकरीबन 50 साल पहले तत्कालीन जिला-कलेक्टर गांव का मुआयना करने आए. उनके रूतबे से गांव की एक वृद्ध महिला इतनी प्रभावित हुई कि वह अपने पोते को कलेक्टर नाम से ही बुलाने लगी. बस फिर क्या था! तभी से इन लोगों ने अपने बच्चों को इस तरह के नाम देने की रीत बना ली. हालांकि यह बात और है कि 50 साल का यह कलेक्टर कभी स्कूल नहीं गया. यहां तक कि इस गांव में हाईकोर्ट नाम का भी एक व्यक्ति रहता है. कहते हैं कि जब उसका जन्म हुआ तो उसके दादा को हाईकोर्ट ने एक मामले में जमानत दी थी. बस फिर क्या था, उस बच्चे का नाम हाईकोर्ट रख दिया गया. यही नहीं, गांव के एक परिवार को कांग्रेस से खासा लगाव है. जाहिर है कि उस घर के बच्चों के नाम सोनिया, राहुल और प्रियंका रखे गए हैं. रामनगर की तरह बूंदी के ही एक दूसरे गांव नैनवा में भी बच्चों को अजीबोगरीब नाम दिए जाते हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि यहां के लोग प्रशासन की बजाय उन्नत तकनीकों के कायल हैं. यहां रहने वाले मौंगिया और बंजारा समुदाय के लोगों ने अपने बच्चों के नाम मोबाइल ब्रांड और एसेसरीज पर रखे हैं. यही कारण हैं कि यहां सिम कार्ड को पेड़ों से झूलते और मिस-कॉल को अक्सर हाथों में गुलेल लिए इमलियां तोड़ते देखा जा सकता है.
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