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July 12, 2020
दिल्ली और इससे सटे एनसीआर (Delhi NCR) में COVID-19 के बढ़ते मामले को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने लगातार एक के बाद एक कदम उठाए थे. जिसमें एक अहम निर्देश यह था कि दिल्ली एनसीआर एक यूनिट की तरह काम करें, ताकि कोरोना वायरस को हराया जा सके. अब कोरोना वायरस का इलाज और उसके रोकथाम से संबंधित वही फैसले हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर गृह मंत्री ने उन्हें भी लेने को कहा. उसका नतीजा यह हुआ कि दिल्ली के बाद अब उत्तर प्रदेश में मुनासिब दरों पर कोरोना वायरस मरीज का इलाज हो सकेगा. वीके पॉल कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, जिस दर पर यह इलाज दिल्ली में हो रहा है अब उसी दर पर उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी इलाज होगा. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि निजी अस्पताल जो कोरोना वायरस का इलाज कर रहे हैं वह मनमानी फीस मरीजों से नहीं वसूल पाएंगे.
गृह मंत्री के निर्देशों के बाद दिल्ली के साथ-साथ गाजियाबाद में भी कोविड इलाज की दरें सस्ती हुई हैं. अब यहां भी कोरोना मरीजों के इलाज के लिए वीके पॉल कमेटी की सिफारिशें लागू कर दी गई हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बाबत शासनादेश जारी किया था, जिसके बाद गाजियाबाद के जिला प्रशासन ने इस संबंध में कोविड का इलाज कर रहे सभी अस्पतालों को यह आदेश जारी किया. गाजियाबाद शासन के आदेश के मुताबिक जिले में कोई भी अस्पताल कोरोना वायरस मरीज से प्रतिदिन 18000 से ज्यादा फीस नहीं ले सकेगा.
गाजियाबाद की तरह जल्द ही नोएडा और यूपी में ए-श्रेणी के तहत दस बड़े शहरों के स्थानीय प्रशासन इन दरों को लागू करने के लिए आदेश जारी करेंगे. इसके अलावा प्रदेश के अन्य छोटे शहरों में भी इन्हीं दर के मुताबिक या फिर इससे कम दर में निजी अस्पताल कोरोना इलाज के लिए मरीजों से पैसे लेंगे. इस कमेटी द्वारा दी गई सिफारिशों के मुताबिक आइसोलेशन के साथ ऑक्सीजन बेड की दर 8000 से 10000 रुपए हैं. बिना वेंटीलेटर के आईसीयू 13000 से 15000 रुपए हैं. वहीं, वेंटीलेटर के साथ आईसीयू 15000 से 18000 रुपए होंगी. पीपीई किट की कीमतें भी शामिल होंगी. इस कमेटी की सिफारिशों से पहले कोरोना वायरस का इलाज कर रहे अस्पतालों के लिए पैसे लेने का कोई मापदंड नहीं था और मरीज के ऊपर इलाज का दोगुना से ज्यादा खर्चा आता था.
जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय के मुताबिक दिल्ली से सटे होने के कारण गाजियाबाद में लगातार संक्रमण का बड़ा खतरा रहा है. मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. ऐसे में जब यह मापदंड तय हो गए हैं तो अस्पताल इलाज के खर्च को लेकर कतई अपनी मनमानी नहीं कर सकेंगे. यही नहीं कोविड के हर अस्पताल में इलाज की सुविधा बेहतर हो इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर लगातार निगरानी और सुविधाओं का आकलन किया जा रहा है. वहीं, दूसरी ओर केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक सरकारी कोविड केयर सेंटर की सुविधाओं को भी केन्द्र सरकार के मापदंडों के मुताबिक ही रखने की कोशिश की जा रही है. कोरोना वायरस इलाज के लिए गृह मंत्री अमित शाह के आदेश पर वीके पॉल कमेटी का गठन किया था, जिसने कई अहम सुझाव दिए थे. जिससे दिल्ली में कोरोना मरीजों को उचित दरों पर इलाज मिल सके. टेस्टिंग ज्यादा हो सके और उनकी देखरेख अच्छे से हो सके.
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