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July 28, 2019
*देवनानी और भदेल:नाक की नकेल या सियासत की गुलेल।*
*सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
हाथी हाथी के साथ लड़ाई करे या हथिनी के साथ धींगा- मस्ती नुक़सान घास का ही होता है ।पिछले 15 साल तक अजमेर में यही हुआ है। अजमेर के दो स्थाई विधायक वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल अपनी पूरी ताक़त से एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए हर वो कृत्य करते रहे हैं जो कुकृत्य होते होते बच गया। पूरा अजमेर इन दोनों नेताओं की हमलावर योजनाओं का गवाह रहा है। भाजपा का हाईकमान भी जानता है कि दोनों ने एक दूसरे की संप्रभुता पर कहाँ-कहाँ और कैसे-कैसे पलीता लगाया। भदेल और देवनानी जी ने इस दिशा में अपने पूरे कार्यकर्ताओं को लगा दिया। नतीजा यह हुआ कि वह कारनामे किए गए जो राजनीति की इस कहावत को चरितार्थ करते हैं कि राजनीति और इसमें इश्क में कुछ ग़लत नहीं होता।देवनानी व भदेल ने 15 साल तक एक दूसरे से दूरी बनाए रखी और दोनों ने ही इस दूरी को बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। शुरू में राजनीति कद्दावर नेता ओंकार सिंह लखावत के समर्थन और सहयोग से खेली गई ।लखावत जी अनीता के सरपरस्त हो गए ,डायरेक्टर हो गए तो देवनानी जी ने मेयर धर्मेंद्र गहलोत के सर पर हाथ रख दिया। भदेल लखावत की चेली बन गई तो गहलोत देवनानी के ।इस बीच अनिता भदेल ने अपने आक्रमणों को प्रभावशाली बनाने के लिए और सिपहसालार (चेले नहीं) पाल लिए। लाला बना सुरेंद्र सिंह शेखावत और संपत सांखला जब देवनानी ने अपनी राजनीति को शतरंज बनाते हुए धर्मेंद्र गहलोत को मेयर बनवा दिया तो भदेल ने उप मेयर के लिए संपत सांखला को अपनी गुलेल से निकाल दिया। मज़ेदार बात तो ये रही कि मेयर और उपमेयर दोनों ही पोस्ट सामान्य वर्ग की थीं जिस पर ओ बी सी के नेता काबिज़ कर दिए गए। तब से देवनानी और भदेल के बीच का युद्ध जगज़ाहिर हो गया ।देवनानी जी ने देवी भदेल के पति महाराज का तबादला अजमेर से कराने की पूरी कोशिश की थी और माँ दुर्गा को ज़हर का घूंट पी कर बैठना पड़ा था ।बाद में भले ही वे अपने पति परमेश्वर को उन्होंने अजमेर से जाने नहीं दिया मगर एक बार तो देवनानी ने देवी को नानी याद दिला ही दी थी।
दोनों की लड़ाई का नतीजा ये हुआ कि पूरी शहर भाजपा ही नहीं, जिले की भाजपा भी दो गुटों में बंट गई ।कार्यकर्ता ही नहीं प्रशासन भी दो गुटों में तब्दील हो गया । दोनों ही विधायक मंत्री भी बन गए और दोनों ने अपनी ताक़त का बेजां इस्तेमाल शुरू कर दिया।
दोस्तों !मैं पुरानी कोई भी चीज़ उखाड़ने का शौक़ीन नहीं ।चाहे वह किसी की टांट के बाल हों या गड़े मुर्दे के, मगर यहां आज मुझे ज़रूरी लग रहा है कि दोनों नेताओं की जन्मपत्री में बैठे पाप ग्रहों को शांत कर दूँ।
अजमेर की 80% जनता और कार्यकर्ता आज भी यह मानकर चल रहे हैं कि देवनानी और भदेल एक दूसरे के ख़िलाफ़ हैं लेकिन मैं सब को यह बताना चाहता हूँ कि अब उनके बीच के फ़ासले नज़दीकियों में बदल चुके हैं। दोनों के बीच गुप्त नवरात्रा के तहत जमकर समर्थन दिए जाने का खेल चल रहा है ।एक ही थैली के चट्टे बट्टे होने के बाद दोनों अब भाजपा के अपने दूसरे ताक़तवर नेताओं को नीचा दिखाने में ताक़त झोंक रहे हैं।
देवनानी जी के नंबर वन मित्र(
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