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October 24, 2020
पद की हद में रहें आरुषि मलिक: कहा शान्ति धारीवाल ने
अधिकारों का अतिक्रमण किए जाने पर उन्हें पाबंद किये जाने के दिए निर्देश
नगर परिषद नागौर के आयुक्त को नोटिस देने को ग़लत बता कर किया निरस्
अजमेर नगर निगम की पूर्व आयुक्त के विरुद्ध ए सी बी को रिपोर्ट देने को भी बताया नियम विरुद्ध
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
अधिकारियों के अधिकार क्षेत्रों पर अब मंत्री विपरीत टिप्पणियां कर रहे हैं ।इसे एक तरह से अधिकारियों के पर कतरने की दृष्टि से देखा जा रहा है । कौन सही है ,कौन गलत? यह तो बताना मेरे वश की बात नहीं मगर यू डी एच मंत्री शांति धारीवाल ने अजमेर की संभागीय आयुक्त आरूषी मलिक को अपने आधिकारिक हैसियत में रहने के लिए जरूर कह दिया है ।उन्हें अपने पद की हद में रहने की सलाह दी गई है।
राजस्थान के यू डी एच मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शांति धारीवाल ने अजमेर की संभागीय आयुक्त आरूषी मलिक को हद में रहने की हिदायत देते हुए मुख्य सचिव को पत्र लिखा है ।
पत्र में उन्होंने साफ लिखा है कि मलिक को हदों में रहने के लिए पाबंद कर दिया जाए।
धारीवाल बेहद सपाट और दो टूक बोलने वाले किस्म के नेता हैं। मुख्यमंत्री गहलोत का वे दिल से सम्मान करते हैं मगर उनकी बात पसंद न आने पर उसका विरोध करने में भी बाज़ नहीं आते। ज़मीन से जुड़े होने के कारण राज्य में उनके समर्थकों की ख़ासी संख्या है। वे कानून के जानकार हैं और समय-समय पर अधिकारियों की लगाम कसते रहते हैं ।इस बार उन्होंने अजमेर की संभागीय आयुक्त आरूषी मलिक की तरफ अपनी नज़र टेढ़ी की है।
उन्होंने उन्हें नागौर के प्रशासनिक अधिकारी (नगर परिषद आयुक्त) को सीधा नोटिस दिए जाने पर नाराज़गी व्यक्त की है । उन्होंने अजमेर नगर निगम की पूर्व आयुक्त लेडी सिंघम के नाम से पहचानी जाने वाली ईमानदार अधिकारी चिन्मयी गोपाल के विरुद्ध कथित भ्रष्टाचार की रिपोर्ट सीधे ए सी बी को भेजने के मामले को भी गलत ठहराया है।
धारीवाल जी कि जो नोटशीट मेरे पास है उसमें साफ लिखा है कि यह सब कुछ करना उनके क्षेत्राधिकार में नहीं आता ।वह किसी प्रशासनिक अधिकारी को नोटिस नहीं दे सकतीं। यदि उन्हें लगता है कि किसी मामले में कोई अनियमितता या भ्रष्टाचार हुआ है तो वे विभाग को रिपोर्ट कर सकती हैं ।सीधे ए सी बी को मामला नहीं भेज सकतीं। ना ही किसी अधिकारी को नोटिस दे सकती हैं।
मित्रों !! अजमेर की संभागीय आयुक्त आरूषी मलिक एक तेजतर्रार महिला अधिकारी के रूप में जानी पहचानी जाती हैं। उन्होंने हमेशा सही को सही और ग़लत को ग़लत कहने का साहस किया है । ऐसा माना जाता है कि वह किसी दबाव में आकर फ़ैसले नहीं लेतीं।ना ही किसी ग़लत बात को स्वीकार करती हैं।
यही वजह है कि उन्होंने पिछले दिनों कुछ मामलों की अपने स्तर पर जांच कर रिपोर्ट भ्रष्टाचार विभाग को भेज दी। नागौर के आयुक्त को नोटिस जारी कर दिया ।यह उनकी कार्यशैली का हिस्सा है ।उनके द्वारा की गई कार्रवाई अखबारों में छप गई और सोशल मीडिया में छाई रही।
कुछ अधिकारियों ने मंत्री शांति धारीवाल तक यह बात पहुंचा दी ।मंत्री धारीवाल भी क्योंकि धारदार नेता हैं इसलिए उन्होंने भी मामले पर धारदार कार्रवाई कर दी ।उनके द्वारा जो नोटिस जारी किया गया है उसे मैं यहां पाठकों के लिए ज्योँ का त्यों प्रस्तुत कर रहा हूँ।भाषा भी वही है और हर शब्द वैसे का वैसा।
(टिप्पणी क्रमिक)
Deviation के बिंदु पर कमेटी गठित कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का प्रस्ताव ।
मुझे यह भी बताया गया है कि संभागीय आयुक्त ने भ्रष्टाचार निरोधक विभाग को भी रिपोर्ट भेजकर कार्रवाई के लिए लिखा है ।मुख्य सचिव विभाग की ओर से लिखा जावे कि स्वायत शासन विभाग के अधीन कार्य करते हुए किसी अधिकारी के विरुद्ध जांच कर ,उसका निष्कर्ष अपने ही स्तर पर लेकर ,राज्य सरकार की अनुमति के बगैर ,भ्रष्टाचार निरोधक विभाग में परिवाद संभागीय आयुक्त के द्वारा भेजा जाना पूर्णतया गलत है।
संभागीय आयुक्त अजमेर द्वारा अपने क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण कर स्वायत शासन विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है। संभागीय आयुक्त को विभाग के द्वारा ऐसी कोई शक्ति प्रत्यायोजित नहीं की गई है कि वह स्वायत शासन विभाग के अधीन अधिकारियों के विरुद्ध अपने ही स्तर पर निर्णय लेकर कार्रवाई करें ।
नागौर नगर परिषद के आयुक्त के विरुद्ध भी संभागीय आयुक्त ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर सी सी ए नियमों के अंतर्गत नोटिस जारी किए हैं ।संभागीय आयुक्त की जानकारी में यदि कोई अनियमितता आती है तो सर्वप्रथम विभाग को अपनी रिपोर्ट के साथ प्रस्तुत कर निर्देश प्राप्त करने चाहिए।
संभागीय आयुक्त के द्वारा भविष्य में इस प्रकार की गतिविधियां रोकने के लिए पाबंद किए जाने हेतु मुख्य सचिव को लिखा जावे तथा अनाधिकृत जारी सी सी ए नियमों के नोटिस निरस्त किए जाएं।
(शांति धारीवाल)
मंत्री
धारीवाल जी के इस पत्र से दो बातें स्पष्ट जाहिर हो रही हैं। एक तो मामले की जांच के लिए कमेटी बनेगी , दूसरा यह कि जो भी कार्रवाई संभागीय आयुक्त ने की है उसे निरस्त किया जाएगा । इस मामले में संभागीय आयुक्त क्या निर्णय लेंगी यह तो वे ही जानें मगर फिलहाल तो मामला सर गर्मियों में है।
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